रायपुर। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने एनएमडीसी के संयुक्त उपक्रम कंपनी एनसीएल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. नोटिस में सरकार ने कहा कि क्यों न बैलाडीला में आबंटित खदान को रद्द कर दिया जाए ? सरकार ने इसका शर्तों के मुताबिक 2 साल खनन शुरू न होना बताया है. बैलाडीला में संयुक्त उपक्रम एनसीएल ने मोदी के करीब उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी को एमडीओ के जरिए खनन काम दिया है.
एनसीएल को नोटिस राज्य सरकार की ओर कराई गई जाँच के अधार पर दिया गया है. जाँच में सरकार पाया है कि खनन के लिए ग्राम सभा की अनुमति आवश्यक थी, लेकिन वो ली नहीं गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक 4.7.2014 में ग्राम हिरोली में ग्राम सभा का आयोजन हुआ नहीं था. अधिकारियों ने फर्जी रिपोर्ट बना दी थी. रिपोर्ट में उन लोगों के नाम है जिनकी मृत्यु हो चुकी है. मतलब अंगूँठे के निशान फर्जी पाए गए. इसके आधार पर रिपोर्ट में कंपनी की पूरी प्रकिया को ही शून्य बताया गया है.
इस रिपोर्ट के बाद वन विभाग खनन के लिए दी गई पर्यावरणीय अनुमति पर पुनर्विचार कर रहा है. माना जा रहा है कि सरकार का यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी के अडानी के लिए तगड़ा झटका है. दरअसल पूर्व की भाजपा सरकार ने विधानचुनाव के दौरान ही आनन-फानन में खनन के लिए अपनी स्वीकृति दे दी थी. यह स्वीकृति भी सवालों के घेरे में है.
राज्य सरकार का यह निर्णय आयकर छापों के ठीक बाद आया है. जिसने केन्द्र और राज्य के बीच सियासी घमासान की स्थिति पैदा कर दी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आईटी को छापा को राजनीति से प्रेरित बताया था. कहा था कि केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. सीएम ने मीडिया से कहा था कि इस छापे के पीछे पीएम मोदी के करीबी औद्योगिक घरानों से इंकार नहीं किया जा सकता था.
गौरतलब है कि भाजपा के शासनकाल में अडानी को उत्तर छत्तीसगढ़ में कोयला के कई खदानें एमडीओ के जरिए मिली हुई है. जिसे लेकर लगातार शिकायतें मिलती रही हैं. इन शिकायतों में फर्जी ग्राम सभाओं की अनुमति हासिल करना भी शामिल है. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्राप्त शिकायतों के आधार एक्शन लिया गया है. बस्तर में ग्रामीणों की शिकायतों और आंदोलन के बाद जाँच शुरू की गई है. जाँच पर लगातार कार्यवाही जारी है.