रायपुर. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भूपेश सरकार ने विधानसभा को टालने का प्रस्ताव पहले ही सामने ला दिया था। होली अवकाश के बाद सोमवार को सदन की कार्रवाई चलनी थी, जिसके लिए सत्ता और विपक्ष के सभी सदस्य सदन पहुंचे थे। कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में यह निर्णय हुआ कि आगामी 25 मार्च तक के लिए सदन स्थगित कर दी जाएगी। प्रश्नकाल के पूर्व कार्यसूची आवंटित की गई, इसके बाद प्रश्नकाल को रोककर कोरोना पर चर्चा के लिए दोनों पक्षों को आसंदी से आमंत्रित किया गया, इस पर विपक्ष बुरी तरह से आक्रोशित हो गया। विपक्ष का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष ने सत्तापक्ष के प्रभाव में आकर निर्णय लिया है, जो कि सदन के लिए काला दिन के तौर पर दर्ज हो गया है।
विधानसभा का बजट सत्र पहले ही कोरोना वायरस की भेंट चढ़ चुका है। उस पर एक दिन के लिए सदन की कार्यवाही होनी थी, लेकिन कोरोना वायरस ने इसे भी गटक लिया। इस बात को लेकर विपक्ष की त्यौरियां चढ़ गईं। विपक्ष का आरोप है कि भूपेश सरकार चर्चा से बचने के लिए कोरोना का आड़ ले रही है। वहीं सरकार को विधानसभा अध्यक्ष का संरक्षण मिल रहा है, जो अनुचित है। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने इस सदन के इतिहास का काला दिन निरूपित करते हुए कहा कि 20 साल के इतिहास में कभी नहीं, जब प्रश्नकाल की आहूति देकर किसी विषय पर चर्चा के आमंत्रित किया जाए। वहीं वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि इस सरकार ने सदन की परंपरा को तोड़ दिया है।
विपक्ष का गुस्सा इसलिए है कि सदन की कार्यवाही नहीं चलने की वजह से उन्हें सरकार को घेरने का मौका नहीं मिल पा रहा है, जबकि विपक्ष धान के मसले पर सरकार की खिंचाई करने की तैयारी किए बैठा है। बहरहाल सदन की कार्रवाई 25 मार्च तक के लिए स्थगित है, इसके बाद सदन कितने समय चल पाएगा, इस पर भी संदेह के काले बादल मंडरा रहे हैं।
विपक्ष ने सदन में जमकर किया विरोध प्रदर्शन, विपक्ष का आरोप, चर्चा से बचना चाहती है सरकार
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