सुकमा। आदिवासियों के लिए अपना जीवन त्यागने वाली पुष्पा तिग्गा की मौत पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संवदेना व्यक्त करते हुए ट्विट किया। उन्होंने कहा जिंदादिली का दूसरा नाम थीं पुष्पा तिग्गा, जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों की भलाई के लिए न्यौछावर कर दिया। पुष्पा खुद ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थीं। बावजूद इसके 15 किमी दूर नक्सल इलाके में साइकिल पर जाकर लोगों का इलाज थीं। स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुष्पा तिग्गा ने आखिरकार कैंसर से जंग हार गई। बुधवार दोपहर सुकमा जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। पुष्पा तिग्गा की उम्र तकरीबन 45 साल थीं। सुकमा के छिंदगढ़ ब्लॉक से करीब 40 किमी दूर घोर नक्सल प्रभावित इलाका कुन्ना और डब्बा इलाके में पुष्पा पिछले 12 सालों से एनएम कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवा दे रही थीं। उनका इलाज बिलासपुर में चल रहा था। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित तिग्गा की तबियत कुछ दिन से ज्यादा खराब थी। उन्हें मंगलवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान बुधवार को उन्होंने दम तोड़ दिया।