रायपुर। कटघोरा से लगातार कोरोना पाॅजिटिव हुए 23 मरीजों में एक महिला मरीज ऐसी भी है, जिसकी एक 3 माह की दूधमंुही बच्ची है। उसकी बड़ी बेटी को भी अभी दो साल पूरे नहीं हुए हैं। मां ऐसी खतरनाक बीमारी की चपेट में है, जिसकी वजह से वह अपनी तीन माह की बेटी की भूख शांत करने के लिए उसे अपने सीने से लगाकर दूध भी नहीं पिला सकती। इन विपरीत परिस्थितियों में बड़ी बेटी का ख्याल जहां खुद पिता रख रहा है, तो नन्हीं सी जान का पूरा देखभाल रायपुर एम्स अस्पताल की नर्सेंस कर रही हैं। दिन-रात कोरोना वायरस को लेकर जहां डाॅक्टरों और अन्य हाॅस्पिटल स्टाॅफ का दिमाग कौंधा हुआ है, ऐसे में भी पूरी शिद्दत से उस मासूम जान की देखभाल मानवता की मिसाल से कम कहां।
यह सच्चाई कहीं और की नहीं, बल्कि रायपुर एम्स अस्पताल की है, जहां पर एक 3 माह की दूधमुंही बच्ची, जिसकी मां कोरोना संक्रमित हो चुकी है। उसका अलग से उपचार जारी है। उसकी एक नहीं बल्कि दो बेटियां हैं, जिनमें से एक महज 22 माह की है, तो दूसरी केवल 3 माह की मासूम है। इस जानलेवा बीमारी से इन बच्चों को महफूज रखने के लिए मां से पूरी तरह अलग रखा गया है। बड़ी बेटी को पिता संभाल रहे हैं, तो नन्हीं सी जान के लिए एम्स अस्पताल की नर्सेस अपना समय दे रही हैं। एम्स अस्पताल के अधीक्षक डाॅ. नीतिन एम. नागरकर बताते हैं कि इन बच्चों की सेहत का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। रायपुर का एम्स अस्पताल, जहां पर इस समय 20 कोरोना पाॅजिटिव मरीजों का उपचार जारी है। जहां पर हर समय और मरीजों के आने की आशंकाएं बनी हुई हैं, इसके बावजूद मासूमों को इस खतरनाक वायरस से महफूज रखने में एम्स अस्पताल के डाॅक्टर और उनका स्टाॅफ जिस संवेदनशीलता के साथ जुटा हुआ है, वास्तव में सराहनीय है।