अंबिकापुर। यह व्यथा कहीं और के लोगों की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में बसे हुए उन गरीब मजदूरों की है, जिनका मुंह से निवाला छिन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि देश कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है, लेकिन भूखमरी की स्थिति नहीं है। लिहाजा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री हर किसी के लिए भोजन की व्यवस्था का ख्याल हर स्थिति में रखें। इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धन-धान्य के सारे द्वार प्रदेशभर के लोगों के लिए खोल दिया है और मुख्य सचिव से लेकर कलेक्टर और यहां तक कि ग्राम सचिव तक को निर्देशित किया है कि उनके राज्य में चाहे वह प्रदेश का ना भी हो, बाहर से ही क्यों ना आया हो, भूखा नहीं रहना चाहिए।
प्रदेश में लोग इस लाॅक डाउन के दौरान दो वक्त की रोटी के लिए हलाकान ना हो, इसलिए उन्होंने प्रदेशभर में सभी समाजसेवी संस्थाओं और सामाजिक लोगों से तक आग्रह किया है कि वे इन कठिन परिस्थितियों में भूखों के लिए आगे से आगे बढ़ते जाएं। मुख्यमंत्री भूपेश की संवेदनशीलता, उनके विश्वास और उनके आदेश पर किस तरह कुठाराघात हो रहा है, इसकी बानगी अंबिकापुर में देखने में आ रही है, जहां पर 4 हजार से ज्यादा लोगों को भूखे रात गुजारने पड़ रही है।
इस हकीकत को मीडिया ने अपने कैमरों में कैद किया है, ताकि मुख्यमंत्री तक उन मजलुमों की तकलीफ को पहुंचाया जा सके। मुख्यमंत्री बघेल ने बहुत ही साफ लब्जों में कहा है कि प्रदेश में राशन को लेकर किसी तरह की बाध्यता इस लाॅक डाउन के दौरान नहीं रहेगी। जो जहां से चाहेगा, चाहे उसके पास राशन कार्ड ही क्यों ना हो, कम से कम पांच किलो राशन उसे जरूर दिया जाएगा। इसके बाद भी अंबिकापुर नगर निगम प्रशासन खाना देने के बजाय, उनसे पहचान मांग रहा है। आधार नहीं होने की वजह से उनके भूख का ख्याल ना करते हुए, उन्हें दुत्कारा जा रहा है। आखिर क्यों?