रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी ने साल 2015 से 2018 तक कई बड़े घोटालों को अंजाम दिया है। चतुर्वेदी के इन काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा अब खुलकर सामने आने लगा है।
उल्लेखनीय है कि ईओडब्लू ने अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ आर्थिक अनियमितता के मामले में अपराध दर्जकर कार्रवाई शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक चतुर्वेदी ने पदभार ग्रहण करने के साथ ही भ्रष्टाचार को गति देनी शुरू कर दी थी, जो लगातार तीन सालों तक चलता रहा।
भ्रष्टाचार पर एक नजर -ः
- वर्ष 2015 से 2018 के बीच प्रत्येक शिक्षा सत्र के लिए पुस्तकों के मुद्रण हेतु कागज खरीदी में बहुत घोटाले किए गए हैं। कागज खरीदी में निगम में पुस्तकों के मुद्रण कार्य कर रहे टेक्नो प्रिंटर्स रायपुर के विकास कपूर एवं शारदा ऑफसेट रामपुर के राहुल उप्पल के द्वारा डीसी मित्तल से मिलकर की कमीशनखोरी।
- ओरियंट पेपर मिल जो वर्जिन पल्प का कागज नहीं बनाती है, लेकिन इस कंपनी को कागज सप्लाई के लिए आर्डर दिया गया।
- निगम के द्वारा खरीदे गए कागज में सी.जी.टी.बी.सी. का वॉटर मार्क होता है। परंतु कुछ कागज की रिले बिना वॉटरमार्क के मंगाया गया, जो विकास कपूर
एवं राहुल उत्पल की प्रेसों को दिया गया, जिसमें अन्य मुद्रण का काम होता है। - अशोक चतुर्वेदी के द्वारा वर्ष 2015 से 2018 तक अध्यक्ष के साथ मिलकर करोड़ों रुपयों का स्वेच्छा अनुदान व्यक्तिगत नामों से वेदर चेक के द्वारा धरसीवा में
बांटा गया। - महापुरुषों के फोटोग्राफ बनाने का कार्य शारदा ऑफसेट के नाम से राहुल उपल को प्रति फोटो राशि 240 के मान से दिया गया है, जबकि शारदा ऑफसेट
के पास कलर लैब की मशीन ही नहीं है। फोटोग्राफ को सिल्वर ब्रोमाइड पेपर में बनाना था। जबकि राहुल उप्पल के द्वारा आर्ट पेपर में ऑफसेट से छपाई
की गई। वर्ष 2009 में यही कार्य आनंद कलर लैब रामपुर के द्वारा सिल्वर पेपर में किया गया था। - विकास कपूर एवं राहुल उप्पल महाप्रबंधक के कक्ष में बैठेते थे और महाप्रबंधक की शह पर निगम एवं अधिकारी व कर्मचारी को बर्खास्त करने या ट्रांसफर
करने की धमकी देते थे। - विविध मुद्रण, पुस्तक मुद्रण की निविदा प्रपत्र राहुल उत्पल के द्वारा अपने अनुसार बनाया जाता रहा। शर्त इन्हीं की होती है। इसमें भी महाप्रबंधक का भरपूर
सहयोग दोनों को मिलता रहा। - जून 2018 में महाप्रबंधक ने विविध मुद्रण कि निविदा में ऐसी शर्त डाली है। ताकि पंजीकृत 30 मुद्रणो में से कम से कम मुद्रक निविदा में भाग ले सकें और
हुआ भी यही। सिर्फ 7-8 मुद्रको नें ही भाग लिया है। महाप्रंधक के द्वारा प्रिंटिंग में और कागजी खरीदी में जबरदस्त कमीशनखोरी की गई। देवजी पटेल के
नाम से सबको धमकाते हैं। सबसे ज्यादा पुस्तकों एवं विविध मुद्रण कार्य राहुल उप्पल एवं विकास कपूर कि प्रेसों को दिया जाता था। - 2016 में कांग्रेस के एक नेता के द्वारा विकास कपूर के तीनों प्रेसों के दस्तावेज फर्जी होने की शिकायत की थी। परन्तु उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं
की गई। उसके तीनों फर्म के दस्तावेज फर्जी होने के बाद भी आज भी प्रिंटिंग का कार्य सब से ज्यादा कर रहें हैं। इसको महाप्रबंधक का पूर्ण संरक्षण प्राप्त
है। महाप्रबंधक के द्वारा कागज मिलों एवं प्रिंटिंग प्रेसों के निरीक्षण के लिए विकास कपूर एवम् राहुल उप्पल को साथ में ले जाया जाता रहा। - प्रगति प्रिंटर्स के दस्तावेज आज भी निगम के वेबसाइट में है, जो कि फर्जी है। पंजीयन फॉर्म में पार्टनर का नाम राकेश तिवारी लिखा है और पार्टनरशिप
डीड में पार्टनर का नाम अंकित तिवारी लिखा है। पैनकार्ड एवं जी.एस.टी नंबर डिलीट कर दिए गए हैं। पैनकार्ड में अंकित तिवारी के पिता का नाम राजेश
तिवारी लिखा है। - महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के द्वारा भारती प्रिंटर्स की शिकायत करवा के उसे पंजीयन से बाहर कर दिया जबकि विकास कपूर की फर्म टेक्नो, प्रगति ,
रामराजा प्रिंटर्स की शिकायत कांग्रेस नेता के द्वारा की गई थी। परन्तु वह अशोक चतुर्वेदी के संरक्षण में आज भी काम कर रहा है।