आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है ,नर्सिंग के क्षेत्रों में नर्सों का महत्पूर्ण योगदान रहा है। नर्सिंग सेवा की शुरुआत फ्लोरैंस नाईट एंगल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में हर साल मनाया जाता है। स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में अमीर और ग़रीब दोनों प्रकार के देशों में नर्सोंं की कमी चल रही है। विकसित देश अपने यहाँ नर्सोंं की कमी को अन्य देशों से नर्सोंं को बुलाकर पूरा कर लेते हैं और उनको वहाँ पर अच्छा वेतन और सुविधाएँ देते हैं, जिनके कारण वे विकसित देशों में जाने में देरी नहीं करती हैं। दूसरी ओर विकासशील देशों में नर्सोंं को अधिक वेतन और सुविधाओं की कमी रहती है और आगे का भविष्य भी अधिक उज्ज्वल नहीं दिखाई देता, जिसके कारण वे विकसित देशों के बुलावे पर नौकरी के लिए चली जाती हैं।
रोगी और नर्स के अनुपात में अंतर
दुनिया में अधिकांश देशों में आज भी प्रशिक्षित नर्सों की भारी कमी चल रही है, लेकिन विकासशील देशों में यह कमी और भी अधिक देखने को मिलती है। भारत में विदेशों के लिए नर्सों के पलायन में पहले की अपेक्षा कमी आई है, लेकिन रोगी और नर्स के अनुपात में अभी भी भारी अंतर है।
ट्रेंड नर्सेस एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की महासचिव के अनुसार सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण भारत में प्रशिक्षित नर्सों की संख्या में कुछ सुधार हुआ है। अच्छे वेतन और सुविधाओं के लिए पहले जितनी अधिक संख्या में प्रशिक्षित नर्सें विदेश जाती थीं, आज उनकी संख्या में कमी आई है। रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण रोगी और नर्स के अनुपात में अंतर बढ़ा है, जिस पर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
सरकारी अस्पतालों में नर्सों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतन और अन्य सुविधाएँ मिल रही हैं। उनकी हालत में भारी सुधार आया है, जिससे नर्सों का पलायन काफ़ी रुका है, लेकिन कुछ राज्यों और गैर सरकारी क्षेत्रों में आज भी नर्सों की हालत अच्छी नहीं है। उन्हें लंबे समय तक कार्य करना पडता है और उनको वे सुविधाएँ नहीं दी जाती हैं, जिनकी वे हकदार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों में नर्सों की कमी को ध्यान में रखते हुए विवाहित महिलाओं को भी नर्सिंग पाठयक्रम में प्रवेश लेने की अनुमति दी गई है।
दुनिया भर में कोरोना के कहर और इसकी कोई वैक्सीन तैयार न होने के बाद फिलहाल डॉक्टरों और उनसे सहयोगी स्टाफ नर्स आदि की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। नर्स और डॉक्टर का बहुत ही बढ़ा योगदान है इस महामारी से निकलने का। कई नर्सो और डॉक्टरों को अपने अपने घर जाने की भी अनुमती प्रदान नहीं है।