दिल्ली। ट्रंप ने वाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि अगर अमेरिका चीन से यात्रा पर प्रतिबंध नहीं लगाए होते तो कोरोना वायरस से देश में और भी ज्यादा लोगों की मौत हुई होती जिसका इस अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी ने ‘विरोध’ किया था।
ट्रंप ने कहा, “वे (डब्ल्यूएचओ) चीन के हाथ की कठपुतली हैं। अगर हम सही-सही कहें तो वे चीन की तरफ झुके हुए हैं, लेकिन वे हैं चीन के हाथ की कठपुतली ही। ‘
डब्ल्यूएचओ के उठाए गए कदमों पर किए एक एक सवाल पर ट्रंप ने जवाब में कहा, “मुझे लगता है कि उन्होंने बहुत खराब काम किया है। अमेरिका उन्हें हर साल 45 करोड़ डॉलर देता है, जबकि चीन उनको साल में 3.8 करोड़ डॉलर का भुगतान करता है।”
ट्रंप ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जनवरी के अंत में चीन से यात्रा पर प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ था।
उन्होंने कहा, “डब्ल्यूएचओ मेरे प्रतिबंध लगाने के खिलाफ था। उन्होंने कहा था कि इसकी जरूरत नहीं है, ये कदम बेहद सख्त और कुछ ज्यादा ही है लेकिन वे गलत साबित हुए।”
ट्रंप ने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन भी इस प्रतिबंध के खिलाफ थे.
उन्होंने कहा, “जो बाइडेन ने भी यही बात कही थी। मेरे इस फैसले पर उन्होंने कहा था कि मैं विदेशी लोगों से नफरत करता हूं। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि मैंने कहा था कि चीन से आने वाले लोगों को अमेरिका में एंट्री नहीं मिलेगी, अब वो जल्दी ही हमारे देश में नहीं आ सकते और बाइडेन ने कहा कि मैं विदेशियों से नफरत करता हूं।”
ट्रंप ने आगे कहा, “अगर मैंने प्रतिबंध नहीं लगाया होता, तो इस देश ने हजारों और लोगों को गंवा दिया होता। यह बहुत जरूरी प्रतिबंध था। लोग प्रतिबंध के बारे में बात करना पसंद नहीं करते लेकिन यह बहुत जरूरी था।”
राष्ट्रपति ने यह भी दावा किया कि उन्हें छोड़कर कोई नहीं चाहता था कि यह प्रतिबंध लगाया जाए।
बता दें कि ट्रंप ने इसके पहले भी डब्ल्यूएचओ को हर साल अमेरिका की ओर से दिए जाने वाले वित्तीय मदद को बंद करने की धमकी दी थी और यह भी कहा था कि वो चीन के साथ हर अमेरिकी संबंध खत्म कर देंगे।