कोरोना वायरस के इलाज में कारगर बताई जा रही मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर देश में एक शोध हुआ है। इस दवा को लेकर तेलंगाना सरकार ने कुछ स्वास्थ्य कर्मियों पर इसका शोध किया है। तेलंगाना सरकार द्वारा तैयार की गई एक अंतरिम रिपोर्ट में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या HCQ के बीमारी से लड़ने को लेकर हुए शोध में काफी आशाजनक परिणाम सामने आए हैं। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस से लड़ने में चिकित्साकर्मियों की मदद कर रहा है।
तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए एक शोध में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वन लेने के बाद 70% से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखे हैं। तेलंगाना सरकार के अध्ययन में 70 प्रतिशत से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों, जिन्हें कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए परीक्षण के आधार पर मलेरिया की दवा( हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन) दी गई थी, उनमें कोरोना वायरस (SARS-Cov-2 (COVID-19) से जुड़े कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दिए।
एक जानकारी के मुताबिक 394 हेल्थकेयर वर्कर पर इस दवा का ट्रायल किया गया, जो संभवत: कोरोना वायरस के मरीजों के साथ संपर्क में रहे। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा लेने के बाद कोरोनावायरस के खिलाफ मजबूर प्रतिक्रिया दी और वह कोरोना मरीजों में संपर्क में आने के बावजूद संक्रमित भी नहीं हुए। इसके अलावा, इन 394 फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्करों में से 71% का अलग-अलग कोरोना टेस्ट भी किया गया और सभी के टेस्ट नेगेटिव पाए गए।
इस रिसर्च के दो उद्देश्य थे- पहला, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का कुछ प्रतिशत लोगों पर प्रभाव और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित करने से रोकने की क्षमता।
स्वास्थ्यकर्मियों पर हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के शोध में 694 के मूल अध्ययन नमूनों में से 533 को दवा दी गई और प्रारंभिक खुराक के बाद हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के लगातार उपयोग के साथ 7 सप्ताह तक उनकी निगरानी की गई।