रायपुर। टिड्डियों का दल छत्तीसगढ़ की सीमा के बेहद करीब पहुंच चुका है। हवाओं के रूख के साथ यह दल मध्यप्रदेश से होते हुए छग की सीमा के करीब नजर आने लगे हैं। 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ने वाला यह टिड्डियों का दल मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के वारासिवनी इलाके में दाखिल हो चुका है, यहां से या तो दुर्ग की ओर या फिर कवर्धा के रास्ते यह छत्तीसगढ़ में दाखिल हो सकते हैं। भारत सरकार ने देश के 16 राज्यों में हाई अलर्ट भी जारी कर दिया है, जिसमें छग भी शामिल है।
टिड्डियों के हमले और उनके बढ़ते कदम को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है और कृषि विभाग को अति आवश्यक सतर्कता बरतने निर्देशित किया है। बचाव के तमाम उपाय को लेकर पूर्व तैयारियों को लेकर भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे से चर्चा की है और अधिकारियों को विशेष तैयारियों के साथ एडवाइजरी जारी कर दिया है।
किसानों को टिड्डी दल के बारे में जानकारी दी गई है। टिड्डी की पहचान किस तरह की जाए और इससे कैसे बचा जा सकता है इसके बारे में बताया गया है। किसानों को चेताया गया है कि टिड्डी एक बार में फसल चट कर देता हैं। इसकी पहचान है कि ये चमकीले पीले रंग और लंबे होते हैं। फसल के उपर ये चादर के जैसे दिखाई पड़ते हैं। फसलों को इनसे शोर मचा कर और फ्लेम थ्रोवर से बचाया जा सकता है।
प्रशासन ने फसलों को इनसे बचान के लिए छिड़कने वाली दवाओं के नाम भी जारी किए हैं। टिड्डियों का जीवनकाल 40 से 85 दिन का होता है। इनके अंडों को नष्ट करने गहरी जुताई करने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने कहा है कि टिड्डी दल की जानकारी और उपाय ही बचाव का विकल्प है।