रायपुर। छग राज्य गठन के बाद हुए विधानसभा में कांग्रेस को शिकस्त मिली, इसके बाद दौर था लोकसभा चुनाव का और अजीत जोगी महासमुंद लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी थे। 20 अप्रैल 2004 को महासमुंद जाते समय वे एक भयानक दुर्घटना के शिकार हो गए। इस दुर्घटना में उनके कमर से नीचे का पूरा हिस्सा शून्य हो गया, लेकिन इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने तमाम आशंकाओं और कुशंकाओं को समाप्त कर दिया।
बीते 16 साल से वे रोबोटिक व्हीलचेयर पर चला करते थे। राजधानी से लेेकर कभी कोरबा, कभी जगदलपुर, कभी राजनांदगांव तो कभी रायगढ़ का सफर करते थे, लेकिन वे असहज नहीं हुआ करते थे। राज्य गठन के बाद चार विधानसभा चुनाव और चार लोकसभा चुनाव का वे हिस्सा बने। इस दौरान वे खुद से ज्यादा अपने समर्थकों के प्रचार के लिए दौरा किया करते थे। जो कोई उनसे आग्रह करता, उसके प्रचार में वे हर हाल में पहुंचते थे। उनकी सक्रियता का दूसरा उदाहरण तलाश कर पाना शायद असंभव है।
यह उनकी प्रबल इच्छाशक्ति का ही परिणाम था, जिसकी वजह से उन्होंने मौत को चुनौती दी और लौटकर आने के बाद बगैर किसी असहजता के 16 सालों तक सक्रिय राजनीति का हिस्सा बने रहे। जबकि उनके शरीर का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं करता था।
उनका अधिकांश समय उनके अपने लायब्रेरी में बितता था। प्रतिदिन सुबह मिलने-जुलने के लिए आने वालों से बकायदा मुलाकात करना, उनकी समस्याओं का समाधान करना, उनके लिए सरकार से चर्चा करना और पत्र बनाना, उनकी दिनचर्या में शामिल था। इसके बाद वे किताबों में रम जाया करते थे। घंटों किताबें पढ़ते, अपनी लायब्रेरी में व्हीलचेयर पर ही वे आराम कर लिया करते थे, लेकिन थकना नहीं जानते थे। ऐसी शख्सियत विरले ही होती है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता।