रायपुर। जम्मो संगवारी मन ल जोहार…. मोर नाव जोगी हरय अउ जोगी के बूता मांगे के हरय….. अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के भाषण इन्हीं शब्दों के साथ शुरू हुआ करते थे, पर अब यह आवाज हमेशा के थम गई है। बात चाहे आमतौर पर होने वाली सभाओं की हो, या फिर चुनाव के वक्त, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी अपनी चिर-परिचित शैली में ही आम जनता से संवाद किया करते थे। यह उनका अपना तरीका था, जो प्रदेश की आम जनता को खूब रास आता था और लोग इसका पूरा रस भी लिया करते थे।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी सभाओं को बांधने में माहिर थे, उन्हें बेहतर पता होता था कि किस जगह के लोगों के बीच किन बातों को किस तरीके से रखना है, ताकि लोग उन्हें सुने, उनकी बातों पर गौर करें। समय के साथ वे इस काम में इतने कुशल हो गए और प्रदेश में उन्होंने ऐसा वर्चस्व बना लिया, कि जोगी के नाम पर होने वाली सभी खुद ब खुद बड़ी हो जाया करती थी।