हिंदुस्तान के अन्य कोनों में भले ही लोग शनिवार वाड़ा के बारे में न जानते हों, लेकिन मराठी लोग इसके बारे में बखूबी जानते हैं। दरअसल, यह एक एतिहासिक महल है, जो कभी मराठा साम्राज्य की आन-बान और शान हुआ करता था, लेकिन आज से करीब 246 साल पहले इस महल में एक ऐसी घटना घटी थी, जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है। इस घटना की वजह से ही लोग इस महल को रहस्यमय मानते हैं। तो चलिए जानते हैं शनिवार वाड़ा की वो रहस्यमय कहानी, जो लोगों को आज भी डराती है…
शनिवार वाड़ा महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है, जिसका निर्माण मराठा-पेशवा साम्राज्य को बुलंदियों पर ले जाने वाले बाजीराव पेशवा ने करवाया था। वर्ष 1732 में यह पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था। कहा जाता है कि उस समय इसे बनाने में करीब 16 हजार रुपये खर्च हुए थे। तब के समय में यह राशि बहुत अधिक थी। उस समय इस महल में करीब 1000 लोग रहते थे।
कहते हैं कि इस महल की नींव शनिवार के दिन रखी गई थी, इसी वजह से इसका नाम ‘शनिवार वाड़ा’ पड़ था। करीब 85 साल तक यह महल पेशवाओं के अधिकार में रहा था, लेकिन 1818 ईस्वी में इसपर अंग्रजों ने अपना अधिकार जमा लिया और भारत की आजादी तक यह उनके ही अधिकार में रहा।
कहते हैं कि इसी महल में 30 अगस्त 1773 की रात 18 वर्षीय नारायण राव की षडयंत्र करके हत्या कर दी गई थी, जो मराठा साम्राज्य के नौवें पेशवा बने थे। कहा जाता है कि उनके चाचा ने ही उनकी हत्या करवाई थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि आज भी अमावस्या की रात महल से किसी की दर्द भरी आवाज सुनाई देती है, जो बचाओ-बचाओ चिल्लाती है। ये आवाज नारायण राव की ही है।
शनिवार वाड़ा से जुड़ा एक और रहस्य है, जो आज तक अनसुलझा है। वर्ष 1828 में इस महल में भयंकर आग लगी थी, जो सात दिनों तक जलती रही थी। इसकी वजह से महल का बड़ा हिस्सा जल गया था। अब यह आग कैसे लगी थी, ये आज भी एक सवाल ही बना हुआ है। इसके बारे में कोई नहीं जानता।