पेंड्रा। कोरिया जिले में टिड्डियों ने दस्तक दे दी है, इसके साथ ही अब आसपास के जिलों में इस बात को लेकर दहशत देखी जा रही है। आशंकाओं के चलते गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में कलेक्टर डोमन सिंह ने इनसे बचाव के लिए कृषि, राजस्व एवं अन्य विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि जिले के सीमावर्ती ग्रामों में समुचित प्रचार-प्रसार करते हुए ग्रामीणों को टिड्डी दल से बचाव के तरीकों से अवगत कराया जाए तथा बचाव के लिए ध्वनि यंत्रों की व्यवस्था तथा अनुशंसित कीटनाशकों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के प्रकोप होने की स्थिति में ढोल, पटाखे, मोटर साईकल के साईलेंसर तथा अन्य तेज ध्वनि यंत्रों से टिड्डी दल को भगाने का प्रयास करें। कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी अपने क्षेत्र के कृषकों को फसलों में छिड़काव हेतु उचित दवा जैसे क्लोरोपायरीफाॅस, लैम्बड़ा-साईहेलोथ्रिन, मेलाथियान इत्यादि की सही मात्रा तथा सही समय पर छिड़काव की जानकारी दे। उन्होंने कृषि विभाग को दवा छिड़काव हेतु पर्याप्त मात्रा में दवा तथा स्प्रेयर इत्यादि की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सके।
उन्होंने जिला स्तर पर नियंत्रण तथा निरीक्षण दल गठित करके रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए ताकि टिड्डी दल के आगमन की दिशा पर सतत निगाह रखी जा सके। उन्होंने जिले के सीमावर्ती गांवों में मुनादी तथा मैदानी स्तर पर अधिकारियों को सतत निगरानी करने के लिए निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि टिड्डी दल टिड्डी नाम के उड़ने वाले कीट का बड़ा दल है। इसमें लाखों कीड़े एक साथ उड़ते हैं। यह लगभग दो से ढाई इंच लम्बा कीट होता है। यह समूह एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं। हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है। टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड-समूह बनाकर पेड़-पौधे एवं वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह दल 15 से 20 मिनट में फसल के पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर सकते हैं। शाम 6 से 8 बजे के आस-पास पहुंचकर जमीन पर बैठ जाते हैं। टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाड़ियों एवं फसलों पर बसेरा करते हैं। वहीं रात गुजारते हैं। रातभर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरते हैं।
इस संबध मे किसानों को समझाईश दी गई है कि जब यह कीट आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आसपास मौजूद घासफूस जलाकर धुआं करें। इससे टिड्डी दल खेत में ना बैठकर आगे निकल जाएगा। आवाज से यह कीट डरता है। किसान अपने खेतों मे पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें। ट्रैक्टर के साइलैंसर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं। कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को तथा उनकेब के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा रासायनिक दवाओं से भी इसे काबू मे किया जा सकता है।