गौरेला पेण्ड्रा मरवाही। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के देहावसान को आज चैथा दिन है। जैसा कि उनके बारे में जाना जाता है, वे समय कभी भी नष्ट नहीं करते थे। जैसे ही वे अकेले होते, या तो किताबों में खो जाते थे, या फिर कविताएं अथवा लेख लेखन करना शुरू कर देते थे। लेखनकाल के दौर में उन्होंने एक कविता ’वसीयत’ की रचना की थी। जिसमें उन्होंने मरणोपरांत उनकी मिट्टी को कहां प्रवाहित की जाए, इस बात का उल्लेख किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री जोगी चाहते थे कि उनके कब्र की मिट्टी को नर्मदा-सोन में प्रवाहित किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने अपनी ’वसीयत’ में इस बात का भी उल्लेख किया है कि उन्हें अमरकंटक, अचानकमार, केंवची एवं पीढ़ा में विसर्जित किया जाये। लिहाजा आज दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कब्र की मिट्टी को जल प्रवाह हेतु दोपहर 12 बजे पावर हाउस तिराहा मुक्तिधाम पेण्ड्रारोड से लेकर अमरकंटक में विसर्जन के लिये ले जाया गया। दिवंगत नेता अजीत जोगी के कब्र की मिट्टी को उनके ’वसीयत’ में लिखे अनुसार अमरकंटक के रामघाट, नर्मदा अरंडी संगम, सोनमुड़ा के सोनभद्र नदी, अचानकमार के माटीनाला एवं पीढ़ा में बारी-बारी से विसर्जित किया गया।