लॉकडाउन लगने के बाद केंद्र सरकार ने कंपनियों से कहा था कि कर्मचारियों का वेतन न काटा जाए। इसके खिलाफ कुछ कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब सुप्रीम कोर्ट मामले से जुड़ीं विभिन्न याचिकाओं पर शुक्रवार को अहम सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह स्पष्ट हो जाएगा कि 54 दिनों की लॉकडाउन की अवधि में, काम नहीं होने के बाद भी, कंपनियां कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के लिए बाध्या होंगी या नहीं? गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती देने वाली कंपनियों की याचिकाओं पर जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की खंडपीठ फैसला सुनाएगी।
4 जून को हुई थी आखिरी सुनवाई, बीते 4 जून को इस मामले में आखिरी सुनवाई हुई थी। तब केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि उसकी 29 मार्च की अधिसूचना असंवैधानिक नहीं है। इस आदेश में वेतनभोगी और निचले वर्ग के श्रमिकों, कामगारों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सरकार ने विधि सम्मत तरीके से यह फैसला लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थायी प्रावधान नहीं था और केवल लॉकडाउन की अवधि के लिए ही था।
सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों का रुख जानने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कंपनियों का कहना था कि सरकार ने जरूरी चीजों से जुड़े कामकाज और सेवाएं जारी रखने का आदेश दिया था, लेकिन वेतन न काटे जाने की शर्त जानने के बाद कई कर्मचारी जानबुझ कर काम पर नहीं लौटे। यही कारण है कि कंपनियां पूरा वेतन नहीं देना चाहतीं।