भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पांच जून को समाप्त सप्ताह में 8.22 अरब डॉलर बढ़कर पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर के पार हो गया. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 501.70 अरब डॉलर हो गया।इस तेजी का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में भारी वृद्धि है।
विदेशी मुद्रा भंडार की यह धनराशि एक वर्ष के आयात के खर्च के बराबर है. इससे पिछले 29 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 3.44 अरब डॉलर बढ़कर 463.48 अरब डॉलर हो गया था। पांच जून को समाप्त सप्ताह में देश की विदेशी मुद्रा आस्तियां 8.42 अरब डॉलर बढ़कर 463.63 अरब डॉलर हो गईं।
देश के विदेशी भंडार में हुई रिकॉर्ड वृद्धि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश के मुद्रा भंडार की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। RBI की ओर से बताया गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार 1.73 अरब डॉलर बढ़कर 493 अरब डॉलर यानी 37 लाख करोड़ रुपये हो गया. यह देश के 12 महीने के आयात के बराबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल से 15 मई के बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 9.2 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।
कोरोना काल में ये वृद्धि शानदार संकेत देश के जाने माने अर्थशास्त्री बता रहे हैं कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय ये रिकॉर्ड वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा संकेत है. इससे देश के कारोबार और लघु उद्योगों को मजबूत और सशक्त करने में अहम भूमिका साबित होगी. विदेशी पूंजी भंडार देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक माना जाता है और पिछले सप्ताह यह 3 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 490 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उल्लेखनीय है कि बीते 29 मई को समाप्त हुए सप्ताह में कुल रिजर्व का सबसे अहम हिस्सा विदेशी मुद्रा 3.50 अरब डॉलर बढ़कर 455.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
FCA है बढ़ोत्तरी की प्रमुख वजह
आपको बता दें कि अर्थशास्त्रियों और RBI का मानना है कि विदेशी मुद्रा कोष में बढ़ोत्तरी की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में वृद्धि होना है।कुल विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए का प्रमुख हिस्सा होता है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में एफसीए 1.12 अरब डॉलर बढ़कर 448.67 अरब डॉलर हो गया।बता दें कि एफसीए में अमेरिकी डॉलर के अलावा यूरो, पौंड और येन जैसी मुद्राएं भी शामिल हैं. इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 61.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 32.91 अरब डॉलर हो गया है।