नई दिल्ली। राइट्स इश्यू के बाद रिलायंस में मुकेश अंबानी की हिस्सेदारी बढ़कर 12 साल के सर्वोच्च स्तर 49.14 फीसदी पर पहुंच गई। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का हाल में सपन्न हुआ राइट्स इश्यू बेहद सफल रहा था। 53,124 करोड़ रुपए के राइट्स इश्यू में अंबानी और प्रमोटर परिवार के अन्य सदस्यों ने 22.5 करोड़ शेयर सब्सक्राइब कर 28,286 करोड़ रुपए का निवेश करने का वादा किया था।
प्रमोटर की हिस्सेदारी बढ़ने से कंपनी में निवेशकों का बढ़ता है भरोसा
कंपनी द्वारा शेयर बाजारों को दी गई सूचना के मुताबिक प्रमोटर परिवार ने राइट्स इश्यू के अनसब्सक्राइब्ड हिस्से में से अतिरिक्त शेयर भी खरीदे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने कहा कि आज के जैसे अनिश्चित माहौल में प्रमोटर अपने कारोबार में इतनी बड़ी पूंजी का निवेश करते हैं, तो कंपनी में निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
कंपनी के शेयर 23 मार्च के बाद से 82 फीसदी मजबूत हो चुके हैं
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 23 मार्च के बाद से 82 फीसदी मजबूत हो चुके हैं। शुक्रवार को यह 3.34 फीसदी चढ़कर 1,589 रुपए पर बंद हुआ। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन अभी 10.07 लाख करोड़ रुपए है। कंपनी ने पार्टली पेड-अप राइट्स इश्यू शेयरों का आवंटन गुरुवार को पूरा कर लिया। आरआईएल के पार्टली-पेड राइट्स इश्यू शेयर सोमवार को शेयर बाजार पर सूचीबद्ध होंगे।
सितंबर 2011 के बाद से आरआईएल में प्रमोटर परिवार की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती गई है
आरआईएल में प्रमोटर परिवार की हिस्सेदारी जून 2008 में 51.37 फीसदी थी। यह सितंबर 2011 तक घटकर 44.71 फीसदी तक आ गई थी। इसके बाद से इसमें लगातार धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती गई। जून 2019 में यह बढ़कर 46.16 फीसदी पर पहुंच गई। इसके बाद सितंबर 2019 में प्रमोटर की हिस्सेदारी और बढ़कर 48.87 फीसदी पर पहुंच गई। यह बढ़ोतरी इसलिए हुई, क्योंकि अंबानी की कंपनी पेट्र्रोलियम ट्र्रस्ट ने आरआईएल के 17.18 करोड़ शेयर (2.71 फीसदी हिस्सेदारी) खरीद लिए थे।
राइट्स इश्यू में एलआईसी ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 6 फीसदी कर ली
आरआईएल के राइट्स इश्यू में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एलआईसी) ने 2.47 करोड़ शेयर सब्सक्राइब कर अपनी शेयरधारिता को बढ़ाकर 37.18 शेयर या 6 फीसदी फीसदी कर लिया। राइट्स इश्यू के बाद पब्लिक शेयरहोल्डिंग 49.93 फीसदी से मामूली घटकर 49.71 फीसदी हो गई। आरआईएल में एफपीआई निवेशकों की संख्या बढ़कर 11 जून को 1,395 हो गई, जो 31 मार्च को 1,318 थी। कंपनी में एफपीआई की हिस्सेदारी बढ़कर 24.15 फीसदी पर पहुंच गई, जो मार्च में 23.48 फीसदी थी।