नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सैनिकों के बीच सोमवार रात हुए हिंसक झड़प से उपजे तनाव के बीच चाइनीज विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात की है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वांग यी ने बातचीत पर जोर देते हुए कहा कि भारत और चीन को दोनों नेताओं (पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग) में बनी सहमति का अनुसरण करना चाहिए। चीनी विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को मतभेदों को दूर करने के लिए मौजूदा संवाद तंत्र मजबूत बनाना चाहिए।
गौरतलब है कि सोमवार रात भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए तो चीन के भी 40 से अधिक सैनिक हताहत हुए हैं। 1975 के बाद पहली बार इस तरह की हिंसक घटना को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसावे पर माकूल जवाब देने का सामर्थ्य रखता है।
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि गलवान घाटी झड़प से उत्पन्न हालात से ठीक से निपटा जाएगा। दोनों देश सैन्य स्तर की बातचीत में बनी सहमति के मुताबिक कदम उठाएंगे और मौके पर स्थिति को जितनी जल्दी संभव हो शांत करेंगे। दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के मुताबिक सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ झड़प में एक कर्नल समेत कुल 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। यह पिछले करीब पांच दशक में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा सैन्य टकराव है, जिसके कारण सीमा पर पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है। वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे।
पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध चल रहा है। भारतीय सेना ने चीनी सेना की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और क्षेत्र में अमन-चैन के लिए तुरंत उससे पीछे हटने की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए पिछले कुछ दिनों में दोनों तरफ से कई बार बातचीत भी हुई है।