सीमा पर चीन की कायराना हरकत के बाद सरकार ने हर मोर्चे पर चीन को सबक सिखाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर से कर दी है।
अब सरकार ने चीन को आर्थिक रूप से पस्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने फैसला लिया है कि टेलीकॉम मंत्रालय के अधीन काम करने वाली कंपनी बीएसएनएल की 4जी टेक्नोलॉजी की स्थापना में चीन की कंपनियों को दूर रखा जाएगा। जानकारी के मुताबिक संचार मंत्रालय ने बीएसएनएल को इसके बारे में निर्देश दे दिया है। खास बात ये है कि सरकार अब जारी किये टेंडर को वापस लेगी और चीनी कंपनियां अब इससे बाहर की जाएंगी।
दरअसल, सरकार बीएसएनएल को पुनर्जीवित करने के लिए इन दिनों कई प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में बीएसएनएल की 4जी सेवा की स्थापना भी है। 4जी सेवा की स्थापना के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों के मुताबिक इस टेंडर में चीनी कंपनियों को रोकने के लिए टेंडर को नए नियमों के साथ फिर से जारी करने का निर्देश दिया गया है।
चीनी उपकरणों में सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सख्त होंगे तेवर
चीन के उपकरणों से भारत की जासूसी को लेकर भी कई बार सवाल उठे हैं। चीनी कंपनी हुआवे एवं जेटीई कठघरे में है और यह माना जाता रहा है कि इन कंपनियों में परोक्ष रूप से सरकार शामिल है। अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश इस बात को मानते हैं कि इन कंपनियों में चीन की सरकार की हिस्सेदारी है। इन देशों में सख्त कदम भी उठे हैं। भारत भी उसी दिशा में बढ़ा तो चीन के लिए परेशानी बढ़ेगी। भारत की ओर से प्रतिशोध का यह पहला कदम माना जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले समय में कुछ और निर्णय हो सकते हैं।