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EXCLUSIVE : …वाह रे वन विभाग तेरे कर्मियों की महिमा है निराली, गुनाहगारों को छोड़कर बेकसूरों पर भड़ास निकाली ..

Vijay Sinha
Last updated: 2020/06/19 at 8:17 AM
Vijay Sinha
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6 Min Read
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कांकेर- छत्तीसगढ़ में वनकर्मी कितने सजग हैं और अपनी ड्यूटी को बकायदा अंजाम दे रहे हैं.ये सभी को पता है । जो हाल छत्तीसगढ़ की वन संपदा का है उसकी बानगी भी किसे से छिपी नहीं है । जंगल साफ रहे हैं और वनकर्मी सजग हैं । जानवर बेमौत मर रहे हैं और वनकर्मी सजग है । लकड़ियों और खनिज संपदा की तस्करी बेतहाशा जारी है और वनकर्मी सजग है । पूरे प्रदेश के 18 फीसदी वन परिक्षेत्र को नक्शे से साफ करने का काम बदस्तूर जारी है लेकिन वनकर्मी सजग है । अब समझ में नहीं आ रहा कि जब इतनी सजगता वनकर्मियों में है तो इन्हें बड़े मंच में बुलाकर सम्मान क्यों नहीं किया जाता । जिस जिले में ज्यादा वन्य पशुओं की मौत उस जिले के डीएफओ और वनकर्मियों को बड़ा इनाम क्योंकि ये सभी सजग हैं। क्या रेंजर, क्या डिप्टी रेंजर, क्या बीट इंचार्ज और क्या वनपाल छत्तीसगढ़ में सभी रामराज में जी रहे हैं । क्योंकि इनकी सजगता इसी तरह जारी रही तो आने वाले कुछ दशकों में आने वाली पीढ़ियां वनौषधि और वन्य जीवों को सिर्फ किताबों में देखकर खुश हो जाया करेगी । खैर ये तो थी इनकी सजगता की बात । लेकिन अब जो तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो ऐसे ही सजग वन्यकर्मियों की है । जिन्होंने ऐसा काम किया है जिसके लिए इन्हें परमवीर चक्र से नवाजा जाना चाहिए । आगे पढ़िए वनकर्मियों का महान कारनामा

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ये भी पढ़े: सजग वनकर्मियों की एक और दास्तां, पढ़कर शर्म ना आए तो कहना ..

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ऐसे वनकर्मी और कहां मिलेंगे,क्या आपके यहां भी हैं ?

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मामला बांदे थाना क्षेत्र का है। गरीब भाई अपने खेत से किसानी का काम खत्म करके वापस अपने घर जा रहे थे । रास्ते में बांदे वन क्षेत्र पड़ा ।थोड़ी दूर आगे जाने पर दोनों भाईयों ने देखा कि कुछ 15 से 16 लोग हाथों में डंडे लिए खड़े हैं। भाईयों ने सोचा कि कोई जानवर आ गया होगा इसलिए हमारी सुरक्षा के लिए ये वन्यकर्मी रास्ते में डटे हैं। मन में प्रसन्नता भी हुई । लेकिन जैसे ही भाईयों को ट्रैक्टर इन वन्यकर्मियों के पास पहुंचा । इनकी मन की खुशी दहशत में बदल गई । क्योंकि इन्हें ट्रैक्टर से उतारकर बिना कुछ पूछे सभी वनकर्मी इन्हीं दोनों भाईयों पर टूट पड़े। मानों किसी खेल के मैदान में एक गेंद के पीछे दो टीमों के खिलाड़ी लगते हैं बिल्कुल ऐसे ही। दोनों भाई गिड़गिड़ाए, मिन्नतें की लेकिन ये 16 सदस्यीय टीम कहां रुकने वाली थी । बिना रेफरी और मेैदान के दोनों भाईयों को मार-मार के अधमरा कर दिया । जब भाईयों ने इनसे इस हरकत का कारण पूछा तो जवाब मिला कि तुम दोनों लकड़ी तस्कर हो। शरीर से आधी जान जा चुकी थी , इसी हालत में इन दोनों भाईयों को बांदे में लाया गया जहां आरोप है कि एक कोेरे कागज में दोनों के हस्ताक्षर करवाकर ये लिखा गया कि ये लकड़ी तस्कर है । दोनों को उनका ट्रैक्टर राजसात करने की धमकी दी गई। केस में फंसा देने का हुक्म सुनाया गया । अब दोनों भाई बुरी तरह से डर गए और इतने डर गए कि दोनों में से किसी ने डॉक्टर के पास जाने की हिम्मत तक जुटा पाई । लेकिन मार तो मार है वो भी 16 सदस्यीय टीम की । एक दिन बीत जाने के बाद एक भाई की हालत बिगड़ गई । अस्पताल में जब दाखिला दिया गया तो डॉक्टरों शरीर की हालत देखकर चोटों का कारण पूछा तब कहीं जाकर ये मामला खुला। लेकिन असली कहानी तो अभी बाकी है । दोनों भाईयों को वन विभाग ने लकड़ी तस्कर तो बना दिया लेकिन शायद वो कई सवाल पीछे छोड़ गए ।

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वो सवाल जिनका जवाब जिम्मेदार देने से भाग रहे हैं ।

सवाल नंबर-1 बिना ट्रॉली के सिर्फ ट्रैक्टर में लकडी की तस्करी कैसे हो रही थी ?

सवाल नंबर -2 ट्रैक्टर को जब जब्त किया गया तो उसी समय पंचनाम क्यों नहीं बना वो जब्त लकड़ियों के साथ ?

सवाल नंबर -3 यदि दोनों ने तस्करी की थी तो वो लकड़ियां कहां है जो ये जंगल से चोरी करके ला रहे थे ?

इन सवालों का जवाब कौन देगा, नीचे पढ़िए आखिर अधिकारियों ने क्या कहा ?

ये कुछ सवाल थे जिनका जवाब हमारी टीम ने उच्च अधिकारियों से जानना चाहा । लेकिन वो भी शायद अपने वन्यकर्मियों की तरह ही सजगता से काम कर रहे हैं । इसलिए जवाब देने के बजाए मामला संज्ञान में होने की बात कहकर एसी की हवा खाने में लग गए ।लेकिन जनाब एसी की हवा तो आप खा लेंगे । लेकिन जिन बेगुनाहों का खून सड़क पर बहा उसके लिए जिम्मेदार वनकर्मियों को कार्रवाई की हवा कौन खिलाएगा। या फिर आप भी उसी थाली की कटोरी हैं, जो आपके ही विभाग के नुमाइंदों ने सजा कर रखी है ।

ये भी पढ़े: क्यों हाथी मुक्त हो सकता है छत्तीसगढ़ ?

TAGGED: md akhbar, van, van vibhag
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