प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान दुनिया को योग का महत्व बताया था। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था ‘योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है- मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है- विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है। स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी पहल पर पहली बार 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International yoga day ) मनाया गया था।
कोरोना काल में योग से खुद को रखें निरोग
21 जून साल का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में योग के जरिए इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही शरीर को निरोग और मन को शांत रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि योग को बढ़ावा देने में बिहार के मुंगेर स्थित ‘स्कूल ऑफ योगा’ की भी बड़ी भूमिका रही है। कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार योग दिवस का सार्वजनिक आयोजन नहीं किया जा रहा, लेकिन 45 मिनट तक घर पर अपने परिवार के साथ योगाभ्यास कर हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
45 मिनट का योग और 3 मिनट का वीडियो
सुशील मोदी ने लोगों से अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून की सुबह अपने-अपने घरों में दूरी बना कर परिवार के साथ योग करें। कम से कम 3 मिनट का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर पूरी दुनिया के साथ जुड़ें। मोदी ने कहा कि कोरोना के ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में खुद को और अपने परिवार के स्वास्थ्य रक्षा के लिए योग सर्वोत्तम है। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते भले ही योग का सार्वजनिक आयोजन नहीं कर पा रहे हों लेकिन इससे योग के प्रति उत्साह में कमी नहीं आनी चाहिए।