नेपाल के कृषि मंत्रालय के सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है कि चीन ने नेपाल की कई हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है। यहां पर चीन अपनी आउटपोस्ट भी बना रहा है। चीन को लेकर ये रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब खुद नेपाल चीन के समर्थन और उसकी चाल में आने के बाद भारत को सीमा पर आंख दिखाने से गुरेज नहीं कर रहा है। हाल ही में नेपाल की संसद ने एक ऐसे विवादित नक्शे को पास किया है जिसमें भारत के कुछ इलाकों को नेपाल की सीमा में दिखाया गया है। लेकिन चीन की शय पर सीमा विवाद का राग छेड़ने वाले नेपाल की खुद ही जमीन पर ड्रेगन कब आ गया उसको इसका पता ही नहीं चला।
इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि कृषि मंत्रालय ने सीमावर्ती इलाकों का ये सर्वे करीब 60 वर्षों के बाद कराया है। इस सर्वे की रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेजों को समाचार एजेंसी एएनआई ने हासिल किया है। एएनआई की मानें तो रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि यदि नेपाल ने इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की तो ड्रेगन उसकी और अधिक भूमि पर कब्जा कर लेगा। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने जमीन को हथियाने के लिए नदियों का रुख मोड़ दिया। बहरहाल, आपको बता दें कि चीन ने नेपाल के जिस इलाके के सीमावर्ती क्षेत्र पर कब्जा किया है उसमें नेपाल के उत्तर पश्चिम का हुमला जिला भी आता है। इस जिले से करनाली नदी बहती है और वो पहाड़ों से होते हुए तिब्बत में जाती है।
ये नदी नेपाल के एक बड़े हिस्से से बहती है। यहां के सीमावर्ती इलाके की सेटेलाइट इमेज पर यदि नजर डालें तो पता चलता है कि दोनों देशों की सीमाओं पर कुछ कंस्ट्रक्शन हो रखा है। यहां पर तिब्बत के इलाकें में सीमा से सटी एक सड़क भी दिखाई देती है। ये सड़क नेपाल के लिमी के करीब से तिब्बत के बुरांग काउंटी से होते हुए मानसरोवर झील के करीब चीन के नेशनल हाईवे नंबर 219 से मिल जाती है। ये वही मानसरोवर झील है जहां से होते हुए हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के धाम कैलाश पर्वत का दर्शन करने जाते हैं।