बीजापुर के भैरमगढ़ नक्सल इलाके में एक ऐसा चमत्कार हुआ जिसकी कल्पना शायद कलयुग में नहीं की जा सकती । पहले तो मात्र 24 हफ्तों में एक महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। जिसका वजन महज 500 ग्राम का था। बच्ची के जन्म के बाद से ये माना जा रहा था कि इसका बच पाना मुश्किल है। लेकिन छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने न सिर्फ उस वक्त बच्ची और बच्ची की मां की जान बचाई । बल्कि आज वो बच्ची खतरे से बाहर आ चुकी है। जिसके बाद जिले की कलेक्टर ने मेडिकल टीम को बधाई दी है। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री ने भी बीजापुर के हॉस्पिटल स्टाफ को धन्यवाद प्रेषित किया है।
वहीं डॉक्टर जिंदल का मानना है कि उनके द्वारा इंटरनेट और विशेषज्ञ डॉक्टरों से जितनी भी जानकारी जुटाई है, उसके अनुसार यह सबसे कम दिन में जन्मा ऐसा बच्चा है जो जीवित है। डॉक्टर जिंदल और अन्य डॉक्टर इसका पूरा श्रेय डॉ. अभय तोमर और सतीश बारीक के अलावा बीजापुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों को देते हैं, जिन्होंने इस जटिल केस को हैंडल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जानिए किस हालत में आई थी राजेश्वरी अस्पताल
जिले के भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में राजेश्वरी गोंडे नामक महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती आई और बताया कि अभी उसका गर्भ 24 हफ्ते का ही है। जच्चा-बच्चा के जीवन रक्षा के लिए अभय तोमर और सतीश बारीक ने सीमित संसाधनों से ही प्रसव कराने का मुश्किल भरा फैसला लिया। मात्र कुछ समय में ही बेबी का सुरक्षित जन्म हुआ लेकिन उसके शारीरिक स्थिति को देख डॉक्टर्स भी चकित और हैरान थे। उन्होंने मेडिकल साइंस में इस तरह का चमत्कार न पहले देख था और न ही सुना। डॉक्टर्स इस बेबी को मिरेकल बेबी मानने को विवश थे।
क्यों पड़ा मिरेकल बेबी नाम?
पैदाइश के बाद से ही इस बच्चे को निमोनिया का संक्रमण हो गया, फेफड़े भी अविकसित था। उसे सांस लेने में भी परेशानी थी। अत: इसे चार घण्टे में ही जिला अस्पताल भेजा गया। उसकी हालत अत्यंत क्रिटिकल थी। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। आंतों के विकसित न होने से उसे मां का दूध भी पच नहीं रहा था। उसके हार्ट में भी छेद था। अगली सुबह इसकी पूरी जानकारी एम्स रायपुर के शिशु रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अतुल जिंदल को दी गई। तब से इस केस को चुनौती मान डॉ. जिंदल के अलावा यूनिसेफ के डॉक्टर और राज्य टीकाकरण के डॉक्टर्स लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग से इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
मेडिकल साइंस की मदद से समझिए पूरा केस
मेडिकल साइंस में अमूमन 36 से 40 वें हफ्ते में बच्चे का जन्म होता है। इस अवधि में बच्चे का हर अंग विकसित होता है। इससे पहले जन्मे बच्चे को प्री मेच्योर बेबी कहा जाता है। लेकिन यह बेबी तो प्री मेच्योर से भी प्री मेच्योर था, जिसके जीवित रहने की उम्मीद काफी कम थी। बावजूद इसके यह रोगों से लड़ते हुए बढ़ रहा है। डॉक्टरों की मेहनत रंग ला रही है। इस बेबी को तीन बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया है। हार्ट के छेद को दवाओं से भरा जा रहा है। अभी इसका वजन 01.05 किग्रा है। हालांकि इसका शारीरिक विकास दिख रहा है पर मस्तिष्क के विकास के अलावा इसके काफी जांच होना बाकी है जो अत्यंत मायने रखते है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई 2018 में हैदराबाद के रेनबो अस्पताल में भी एक ऐसा ही बेबी का जन्म हुआ था, जिसे चेरी नाम दिया गया था। इसका वजन 375 ग्राम और लम्बाई 20 सेमी थी। लेकिन यह बेबी 25 हफ्ते में पैदा हुआ था।