रायपुर। छग के रायपुर, भिलाई और जगदलपुर में 2010 से हैथवे सीबीएन मल्टीनेट प्रा. लि. का संचालन शुरू हुआ था। इसमें बतौर संचालक अभिषेक अग्रवाल, अशोेक अग्रवाल, दुलाल बैनर्जी, गयुर गोविंद भाई कनानी, सुधीर सरीन, संजय खन्ना, सुनील सेठी, मनीष कुमार जैन और राजेश कुमार मित्तल शामिल थे। इस मामले में आकाशगंगा काॅम्प्लेक्स, सुपेला भिलाई, जिला दुर्ग निवासी गुरमीत सिंह भाटिया ने इन सभी के खिलाफ कंपनी के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। इनके आवेदन पर सुपेला भिलाई पुलिस थाना, जिला दुर्ग में सभी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज किया गया है।
जानकारी के मुताबिक 2010 में जब कंपनी स्थापित हुई, तब इन सभी ने शेयर धारक के तौर पर कंपनी का संचालन अपने हाथों में ले लिया। 2010 से 2016 के बीच केबल नेटवर्क से होने वाली आय और लाभांश का हिस्सा कंपनी के खाते में जमा नहीं कराया गया। यह सिलसिला लगातार जारी रहा। इसके बाद 2016 में भारत सरकार ने केबल नेटवर्क को डिजिटल करने का आदेश दिया। इससे पहले गुरमीत ने पूर्व लाभांश की राशि के भुगतान की बात कही, तो यह कहते हुए टाल दिया गया कि डिजिटल नेटवर्किंग के बाद लाभांश भुगतान कर दिया जाएगा।
दी गई जानकारी के मुताबिक इन संचालकों ने सेटअप बाॅक्स में हेराफेरी शुरू कर दी और सेटअप बाॅक्स खरीदी में कूटरचना कर करीब 2.19 करोड़ की गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। इससे पहले केबल नेटवर्किंग के जरिए प्राप्त की राशि में से 10 करोड का नुकसान पहुंचाया जा चुका था, इसके अलावा कैरिज फीस में भी करीब 8 करोड़ 60 लाख का नुकसान पहुंचाया गया। इस तरह से सीधे तौर पर 18 करोड़ 60 लाख की प्राथमिक धोखाधड़ी की गई।
बताया जा रहा है कि इन सभी ने एक और कूटरचना को अंजाम देते हुए कंपनी के खाते में नुकसान दिखाकर करीब 36 करोड़ का नुकसान कंपनी को पहुंचाया गया। इन पूर्व संचालकों की अनियमितता का क्रम यहीं समाप्त नहीं हुआ। इसके बाद इन्होंने फर्जी बिल प्रस्तुत करते हुए कंपनी के खाते में आने वाले लाभांश में हेर-फेर कर कंपनी को 5 करोड का नुकसान पहुंचाया। इस पूरे मामले में स्काई विजन, स्काई ट्रैक, गुरूदेव इलेक्ट्राॅनिक्स एवं गुरूदेव ट्रेडर्स के संचालकगणों की संलिप्तता पाई गई है।
इस पूरे मामले में यह भी बताया गया कि कंपनी के संचालकगण अभिषेक अग्रवाल और उसके पिता अशोक अग्रवाल ने सेंट्रल बैंक की रायपुर के सिविल लाइन व शंकर नगर स्थित शाखा में अलग से खाता खुलवाया, जिसमें कंपनी के लाभांश को जमा करते रहे, पर इसकी जानकारी कंपनी को नहीं दी गई और करीब 9 करोड़ 60 लाख का गबन कर लिया। इस मामले में हैथवे कंपनी के प्रबंधक अनिल पांडेय, मंजीत सिंह सग्गू, पवन सिंह ने भी इनकी मदद की है।