रिपोर्ट- प्रांजल झा, कांकेर
छत्तीसगढ़ में खाद्य विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। एक तरफ पूरे भारत में कोरोना के कारण पहले से ही बेरोजगारी बढ़ी है। वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ खाद्य विभाग के अफसरों की अनदेखी की सजा गरीब आदिवासियों को मिल रही है। छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में गरीब आदिवासियों को शासन की योजना के तहत आयोडीन युक्त नमक मुहैया करवाया जाना था । लेकिन शासन के नुमाइंदों ने गरीबों को नमक बांटने के बजाए उसे सुनसान जंगलों में फेंक दिया । ताकि स्टॉक पूरा हो जाना दिखाया जा सके।
जानिए किसने किया है कारनामा
ये कारनामा और किसी ने नहीं बल्कि खाद्य विभाग की मार्केटिंग सोसायटी के मातहतों ने किया है। इस नमक को सुदूर इलाकों में रहने वाले गरीब आदिवासियों के दरवाजे तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इन्हीं अधिकारियों की थी । लेकिन अधिकारियों ने ये नमक जंगलों में फेंककर ये दिखा दिया होगा कि हितग्राहियों तक नमक पहुंच चुका है।ऐसे में जब इस बात का खुलासा हुआ तो गरीब आदिवासियों को बेहद नाराजगी हुई। क्योंकि यदि नमक के साथ ऐसा किया गया है तो आप सोच लिजिए दूसरी राशन सामग्रियों के साथ ये अधिकारी क्या कुछ नहीं करते होंगे।
क्या जिम्मेदार नपेंगे ?
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ये कहते नहीं थकते कि शासन की योजनाएं गरीबों के दरवाजे तक पहुंचाई गई है। लेकिन जिस तरह की तस्वीरें सामने आ रही है उसे देखकर यही लगता है कि शासन के कुछ अफसर सिर्फ कुर्सी तोड़ने के लिए ही बैठे है। उनको तो सिर्फ अपना टारगेट पूरा करने भर से मतलब है। नक्सल इलाकों में राशन कितनी मुश्किल से मिलता है ये एसी में बैठकर मोबाइल चलाने वाले अधिकारी क्या जानें। क्योंकि शासन इनका और इनकी लापरवाही का तो बोझ उठा ही रहा है। जो भी जिम्मेदार इस काम के पीछे है उनके खिलाफ अब सरकार क्या कार्रवाई करती है ये देखने वाली बात होगी।