यूपी पुलिस ने शुक्रवार को एक बदमाश को पकड़ने की कोशिश की । लेकिन इस शातिर बदमाश ने जाल बिछाकर पुलिसवालों पर ही क्रास फायरिंग कर दी। नतीजा यूपी पुलिस के 8 जवान शहीद हो गए। लेकिन इससे पहले हम आपको इस घटना के बारे में बताए आप जान लिजिए आखिर किसकी शह पर इस बदमाश के हौंसले इतने बुलंद हो गए कि वो खाकी को भी कुछ नहीं समझने लगा। विकास दुबे को राजनीतिज्ञों का संरक्षण प्राप्त था एक निजी न्यूज़ चैनल के हवाले से पता चला कि सबसे पहले विकास दुबे को दो भाजपा नेतों का सबसे पहले संरक्षण प्राप्त था जिनमे से एक राज्यमंत्री रहीं। फिर बसपा सरकार के कद्दावर नेता संरक्षण प्राप्त रहा उसके बाद भाजपा नेता के एक नेता का संरक्षण प्राप्त हुआ। विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का इतिहास
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का राजनीतिक इतिहास भी चौंकाने वाला है। यह जिस पार्टी की सरकार रहती है उसी पार्टी के दमदार नेताओं के संपर्क में रहकर अपनी सुरक्षा करता है। सबसे ज्यादा राजनीतिक पकड़ इसको बसपा की सरकार में मिली।
भाजपा में करना चाहता था प्रवेश
तब से लेकर यह सपा के कई प्रमुख नेताओं और भाजपा के भी कुछ नेताओं के संपर्क में रह रहा था, लेकिन भाजपा के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता की वजह से भारतीय जनता पार्टी में उसकी घुसपैठ पिछले 2 साल से नहीं हो पा रही थी।इसको लेकर विकास दुबे ने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कई संपर्क निकालने की कोशिश की लेकिन भाजपा में उसकी घुसपैठ सीधे तौर पर नहीं हो पाई है, अभी भी वह इसके प्रयास में लगा हुआ था। भाजपा में घुसपैठ का इसका सीधा मतलब था कि वह अपनी सुरक्षा कर सके और अपने काले कारनामों को छुपा सके।
2022 विस चुनाव की कर ली थी तैयारी
बताया जा रहा है कि इससे अलग अपनी राजनीतिक पैठ बनाने के लिए विकास दुबे 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी भी कर रहा था और उसने भाजपा और बसपा दोनों पार्टियों पर अपनी निगाह लगा रखी है।करीबी सूत्रों के अनुसार वह रनिया से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर इस बार चुनाव को लेकर पूरी तैयारी में था। कुछ दिनों पहले बदमाशों के हाथों मारे गए पिंटू सेंगर और विकास दुबे दोनों अगल-बगल की विधानसभा को लेकर बसपा से ही तैयारी में जुटे थे।
हत्या के बाद पुलिस ने बचाया
पिंटू सेंगर रसूलाबाद से और विकास दुबे रनिया से। विकास दुबे सबसे पहले उस समय चर्चा में आया जब शिवली में जूनियर हाई स्कूल के प्रिंसिपल से झगड़ा होने के बाद इसने उनका मर्डर कर दिया था। इसके बाद बसपा के कुछ नेताओं के बल पर इसने पुलिस से अपना बचाव भी कर लिया और अपना दबदबा भी बना लिया। इसके बाद वह एक के बाद एक हत्याओं में लिप्त होता चला गया।
जानिए कितने जवान हुए शहीद
कानपुर में अपराधियों द्वारा की गई गोलीबारी में जान गंवाने वाले आठ पुलिसकर्मियों में हैं- सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा, एसओ महेश यादव, चौकी इंचार्ज अनूप कुमार, सब-इंस्पेक्टर नेबुलाल, कांस्टेबल सुल्तान सिंह, राहुल, जितेंद्र और बबलू.
डीजीपी का बयान
डीजीपी ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था, पुलिस उसे गिरफ्तार करने गई थी. जेसीबी को वहां लगा दिया गया, जिससे हमारे वाहन बाधित हो गए. जब फोर्स नीचे उतरी तो अपराधियों ने गोलियां चला दीं. जवाबी गोलीबारी हुई, लेकिन अपराधी ऊंचाई पर थे, इसलिए हमारे 8 लोगों की मौत हो गई.
डीजीपी ने कहा, हमारे लगभग 7 आदमी घायल हो गए. ऑपरेशन अभी भी जारी है, क्योंकि अपराधी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे. IG, ADG, ADG (लॉ एंड ऑर्डर) को ऑपरेशन की निगरानी के लिए वहां भेजा गया है. कानपुर से फॉरेंसिक टीम मौके पर थी, लखनऊ से एक विशेषज्ञ टीम भी भेजी जा रही थी.
सीएम योगी ने शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की
सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहीद आठ पुलिसकर्मियों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है, जिनकी कानपुर में बदमाशों की फायरिंग में जान चली गई है. उन्होंने डीजीपी एचसी अवस्थी को अपराधियों के खिलाफ कड़े एक्शन लेने के लिए कहा है और इस मामले में रिपोर्ट मांगी है.