रायपुर। भूपेश सरकार इसी सत्र से प्रदेश में सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू करने का ठान चुकी है। आमतौर पर 16 जून से स्कूल खुल जाया करते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से तय नहीं हो पाया है कि स्कूल सत्र कब से शुरू हो पाएगा। एक उम्मीद है कि 15 अगस्त के बाद प्रदेश के सभी स्कूलों को खोल दिया जाएगा, लेकिन परिस्थितियों का नजरी आकलन करने के बाद ही यह निर्णय होगा।
यहां पर हम बात अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की कर रहे हैं, जिसकी अवधारणा भूपेश सरकार ने रखी है। दो राय नहीं कि यह अपने आप में काबिले-तारीफ है। प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने में डाॅ. रमन सरकार पूरे 15 साल असफल रही है, लेकिन महज 15 महीनों के कार्यकाल में भूपेश सरकार ने जो निर्णय लिया है, उसे किसी भी स्थिति में नकारा नहीं जा सकता।
हालांकि इस निर्णय में यह बात बड़ी विचारणीय है कि जिन 40 अंग्रेजी माध्यम को प्रदेश में खोलने का निर्णय लिया गया है, उसमें प्रधानाचार्य प्रतिनियुक्ति से लाए जाएंगे और शिक्षक संविदा में रखे जाएंगे। यह बात गले नहीं उतरती है कि क्या संविदा कर्मी शिक्षक उस स्तर की शिक्षा प्रदेश के नौनिहालों को दे पाएंगे, जिसकी आवश्यकता है।
यह भी एक सच्चाई है कि मोटी तनख्वाह पाने वाले शिक्षकों को सही मायने में अक्षरज्ञान नहीं होता, लेकिन जब बात तनख्वाह की होती है, तो सबसे पहले वे ही नजर आते हैं, ऐसे में बच्चों का भविष्य आखिर कैसे तय होगा, इसकी परिणिति विगत 20 सालों से देखते आ रहे हैं।
निकलते आए हैं आईएएस और आईपीएस
प्रदेश के ये वही सरकारी स्कूल हैं, जहां से देश के आईएएस और आईपीएस निकलते आए हैं। इनमें से दो उदाहरण सामने हैं। राजधानी के एसएसपी अजय यादव बस्तर के एक सरकार स्कूल के छात्र थे, जिन्होंने एक नहीं बल्कि तीन बार यूपीएससी की परीक्षा को पास किया। वहीं पूर्व कलेक्टर ओपी चैधरी, रायगढ़ के एक सरकार स्कूल के छात्र थे, जिन्होंने गरीबी में पढ़ाई की और पहली ही बार में जब वे महज 22 बरस के थे यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को क्रेक कर लिया और राजधानी जैसी जगह के कलेक्टर का पद संभाला।
बेहतर है प्रथम प्रयास
भूपेश सरकार ने प्रदेश हित को ध्यान में रखते हुए 40 अंग्रेजी माध्यम के जिन स्कूलों की कल्पना की है, यदि वे धरातर पर आते हैं, तो वास्तव में प्रदेश की शिक्षा का स्तर कई गुना बढ़ जाएगा। यहां के प्रतिभाशाली बच्चों को एक नई उड़ान नसीब होगी, जिसके बारे में शायद अब तक कल्पना तक नहीं की गई है। आमतौर पर यहां गरीब माता-पिता अपने बच्चों को केवल पढ़-लिख ले, यहीं तक सोचते हैं, लेकिन जिस दिन इन सरकारी स्कूलों से एक पूरा बैच निकलकर अपनी उड़ान भरेगा, उस दिन लोगों को समझ आएगा कि भूपेश सरकार ने किस सपने को उड़ान दी है।