कानपुर शूटआउट के बाद भगोड़े अपराधी विकास दुबे के नाम से पूरा इलाका कांपता था। न जाने कितने ही मर्डर, लूट और अड़बाजी के मुकदमे क्षेत्र के थाने में दर्ज थे। लेकिन ये सभी मामले माइनस 100 डिग्री के तापमान जैसे ही ठंडे थे । क्योंकि जिन पुलिस वालों को विकास पर कार्रवाई करनी थी । उन्होंने अपनी आंख में बांध रखी थी पट्टी और शायद जेबों में भर रखें थे वो कागज जो सीधे विकास दुबे के घर से आया करते थे। लेकिन ऐसा नहीं है कि विकास के कागज का हर पुलिसवाला दीवाना था। कुछ ऐसे पुलिसवाले भी थे जिन्होंने विकास के आतंक को खत्म करने कीठान रखी थी । और आने वाले खतरे को भांपकर पुलिस के आला अधिकारियों को अवगत कराया था। यकीन नहीं आता तो आप भी पढ़ लिजिए शूटआउट में शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्र के आखिरी खत को ।
थानेदार विनय तिवारी को लेकर पहले ही किया गया था आगह
दरअसल घटना में शहीद हुए बिल्हौर के थानाध्यक्ष देवेंद्र मिश्रा को चौबेपुर के निलंबित थाना प्रभारी विनय तिवारी के बारे में पहले ही सब कुछ पता चल गया था। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के घर रेड के लिए तो पुलिस जुलाई में गई, लेकिन सीओ देवेंद्र मिश्रा ये पहले से ही जानते थे कि उसकी गुंडागर्दी पुलिस की शह पर चल रही है। उन्होंने बकायदा एसएसपी को चिट्ठी लिखकर ये बात बताई थी विकास दुबे से चौबेपुर एसओ के संबंध कितने दोस्ताना हैं।
150 मुकदमे के बाद भी पुलिस की आंख थी बंद
शहीद CO देवेंद्र मिश्रा ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि आरोपी विकास दुबे के खिलाफ कानपुर और अन्य जिलों में भी 150 मुकदमे दर्ज हैं और उसके अपराध काफी संगीन हैं। उन्होंने चिट्ठी में साफ तौर पर ये बात लिखी है कि ‘कुख्यात अपराधी के विरुद्ध थानाध्यक्ष द्वारा सहानुभूति बरतना और अबतक कार्यवाही न कराना विनय कुमार तिवारी की सत्यनिष्ठा पूर्णत: संदिग्ध है, अन्य माध्यम से भी जानकारी हुई है कि विनय कुमार तिवारी का पूर्व से विकास दुबे के पास आना जाना और वार्ता करना बना हुआ था। यदि थानाध्यक्ष ने अपने कार्य प्रणाली में परिवर्तन न किया तो गंभीर घटना घटित हो सकती है।
शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्रा की बात पर अगर ध्यान दिया जाता और उनकी इस चिट्ठी पर अमल करते हुए चौबेपुर एसओ विनय तिवारी पर कार्रवाई होती तो शायद विकास दुबे के हौसले यूं बुलंद न होते। उन्होंने इस चिट्ठी में विनय तिवारी की कई कारगुजारियों का जिक्र किया है, जिस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और इतनी दर्दनाक घटना में सीओ बिल्हौर को अपनी जान गंवानी पड़ी।