रायपुर -विधानसभा नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने डीएमएफ राशि के पैनल में बीजेपी के सांसदों को नहीं रखने पर सवाल उठाए हैं। कौशिक ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सांसदों को पैनल में न रखकर केवल स्थानीय विधायक और प्रभारी मंत्री के हाथों डीएमएफ राशि की बागडोर थमा देना उचित नहीं है। कौशिक ने कहा कि बीजेपी के शासन में कलेक्टर को डीएमएफ राशि का सर्वे सर्वा बनाया गया था जिसने जनप्रतिनिधिनयों का भी पैनल था। लिहाजा इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष ने सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा है।
धरमलाल कौशिक को कांग्रेस का जवाब
डीएमएफ पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राज्य कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि डॉ रमन सिंह के राज में डीएमएफ में किसी भी जन प्रतिनिधि की भागीदारी नहीं थी, तब धरमलाल कौशिक की बोलती बंद थी, उनके पास कोई सांसद नहीं था रमन सरकार में डीएमएफ में भूमिका। यह कहीं नहीं पूछा गया। धरमलाल कौशिक, भाजपा के 15 वर्षों को याद करें, जब सरकारी अधिकारी डीएमएफ राशि वितरित करते थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने डीएमएफ की रमन सिंह सरकार की तुलना में बहुत बेहतर व्यवस्था बनाई जिसमें जन प्रतिनिधियों की भी भागीदारी है।
डीएमएफ का वितरण और प्राथमिकता सरकार का विशेषाधिकार है। धरमलाल कौशिक और भाजपा सांसदों ने राज्य कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी से पूछा है कि जिस दिन भाजपा की केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के चावल केंद्रीय पुल में चावल के धान में 2500 रुपये लेने से इनकार कर दिया था, उस समय छत्तीसगढ़ के एक भी भाजपा सांसद ने किसानों के हित में, छत्तीसगढ़ के हित में आवाज नहीं उठाई।