कानपुर। विकास दुबे एनकाउंटर मामले में कई परत है, जिसका खुलना अभी बाकी है। विकास के सरेंडर से पहले पुलिस ने उसके दो मजबूत हाथों को उखाड़ फेंका। जानकारी के मुताबिक अमर दुबे और बउवा दुबे विकास के दो खास राजदार थे, जो विकास की हर छोटी से छोटी बात से वाकिफ थे और विकास इन दोनों को पूरे विश्वास के साथ हर बात को बताया करता था। यह भी कहा जा रहा है कि ये तीन जिस्म एक जान की तरह थे। जो राज विकास के साथ दफन हो गए हैं, दरअसल अमर और बउवा में से किसी एक के भी जिंदा रहने पर तमाम रहस्यों से पर्दा उठ सकता था।
विकास दुबे के एनकाउंटर के पीछे की ये पूरी कहानी यूपी पुलिस बता रही है। विकास दुबे के तीन साथियों को इससे पहले एनकाउंटर में ढेर किया जा चुका है। दरअसल, यूपी पुलिस को विकास दुबे के सहयोगियों की लगातार तलाश थी। मुख्य आरोपी विकास मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया। पुलिस लगातार कई जगहों पर दबिश दे रही थी। पुलिस लोगों से पूछताछ कर रही थी।
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इस दौरान सबसे पहले यूपी के हमीरपुर जिले में पुलिस का बड़ा एक्शन हुआ। हमीरपुर के मौदाहा में मुठभेड़ में पुलिस ने विकास दुबे का दाहिना हाथ माने जाने वाले अमर दुबे को मार गिराया। अमर को विकास दुबे गैंग का शातिर बदमाश माना जाता था। 2 जुलाई की रात कानपुर देहात के बिकरू गांव में शूटआउट के मामले में भी अमर दुबे की तलाश थी। यूपी पुलिस ने जिन अपराधियों की तस्वीरें जारी की थी, उसमें अमर दुबे का नाम सबसे ऊपर था। पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम भी घोषित किया था।
प्रभात ने भी की थी हथियार छिनने की कोशिश
इसी तरह विकास दुबे के सहयोगी प्रभात मिश्रा को पुलिस ने फरीदाबाद के होटल से गिरफ्तार किया था। जानकारी के मुताबिक प्रभात पुलिस की कस्टडी से भाग रहा था। इसके बाद एनकाउंटर में प्रभात को मार गिराया गया। कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल का कहना था कि पुलिस टीम प्रभात को लेकर फरीदाबाद से आ रही थी। रास्ते में गाड़ी पंचर हो गई। इस दौरान प्रभात ने पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। इसके बाद हुए एनकाउंटर में प्रभात मारा गया। इस दौरान कुछ सिपाही घायल हुए।
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इटावा में विकास दुबे के करीबी बउवा दुबे को पुलिस ने मार गिराया। पुलिस के मुताबिक, बउवा दुबे ने महेवा के पास हाईवे पर स्विफ्ट डिजायर कार को लूटा था। उसके साथ तीन और बदमाश थे। पुलिस को लूट की जैसे ही खबर मिली, पुलिस ने चारों को सिविल लाइन थाने के काचुरा रोड पर घेर लिया। पुलिस और बउवा दुबे के बीच फायरिंग शुरू हो गई। इस फायरिंग के दौरान बउवा दुबे को ढेर कर दिया गया। हालांकि, उसके तीन साथी भागने में कामयाब रहे। बउवा दुबे भी कानपुर शूटआउट का आरोपी था।