विकास दुबे वो नाम जो आज हिंदुस्तान के हर टीवी चैनल पर छाया हुआ है। पिछले एक हफ्ते से लुका छिपी का खेल यूपी एसटीएफ ने शुक्रवार को खत्म कर दिया। 28 जून को विकास दुबे ने अपने 5 साथियों के साथ मिलकर यूपी पुलिस के 8 जवानों की बिकरु गांव में बेरहमी से हत्या कर दी थी । प्लान तो सभी के शवों को रातों रात जला देने का था लेकिन मौका नहीं मिला और सभी फरार हो गए । इस हत्याकांड में पुलिस के दो ऑफिसर ने भी भूमिका अदा की थी।जिनकी सूचना के आधार पर विकास ने घर पर ही पुलिस की फौज से निपटने का मन बना रखा था। पुलिस पहुंची और नतीजा चारों तरफ से घेरकर फायरिंग हुई। फायरिंग में कोई पुलिसवाला जान बचाकर भागा तो किसी ने जान की परवाह न करते हुए विकास दुबे और उसके गुर्गों को माकूल जवाब दिया । लेकिन गांव की गलियों से अनजान पुलिसकर्मियों के लिए ये जाल किसी महाभारत के चक्रव्यूह से कम न था। विकास ने घायल पुलिसकर्मियों को भी नहीं छोड़ा । सीओ देवेंद्र मिश्रा को तो ब्लैंक पाइंट से गोली मारी गई और उनके शरीर को धारदार हथियार के साथ क्षत-विक्षत कर दिया। इसके बाद मौका पाकर सभी आरोपी भाग गए ।
हत्याकांड के बाद भागा विकास दुबे, सीसीटीवी में पहली फुटेज
पुलिस अब खोजी जासूस की तरह विकास के पीछे पड़ी। हत्याकांड के 7 दिन बाद विकास फरीदाबाद के एक होटल के सीसीटीवी में कैद हुआ । बड़ा सवाल उठा कि आखिर इतने पहरे के बाद आरोपी ने यूपी की सीमा लांघी तो आखिरकार कैसे। यही नहीं वो बड़े ही आसानी से पुलिस के आने से पहले मौके से फरार हो गया । यानी कोई तो था जो इसकी मदद अब भी कर रहा था । खैर इस पर आगे बात करेंगे। लेकिन पुलिस को सिवाय विकास के नाम के उस होटल में कुछ ना मिला। पुलिस टीवी मीडिया सभी विकास के गांव से लेकर एमपी, छत्तीसगढ़, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, बिहार और राजस्थान के अंदर डेरा जमाए हुए थे। विकास के सिर पर जो इनाम रखा गया था वो धीरे धीरे 50 हजार से बढ़कर 5 लाख तक जा पहुंचा था। लेकिन फिर भी विकास का कोई पता नहीं चला ।
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9 जुलाई को महाकाल के सामने प्रकट हुआ विकास
जिस विकास को यूपी, बिहार, दिल्ली और हरियाणा पुलिस की टीमें तलाश कर रही थी । अचानक वो उज्जैन के महाकाल मंदिर में सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर प्रकट हो गया । विकास बड़े ही आसानी से मंदिर के अंदर दाखिल होकर पूजा पाठ कर चुका था । और वापसी में लौटते वक्त मंदिर के गार्ड ने उसे पहचान लिया। गजब को ये है कि मास्क लगाए विकास को मंदिर के गार्ड ने पहचाना । इसके बाद पहले से ही मंदिर के बाहर लोकल मीडिया की टीम और पुलिस पहुंच चुकी थी।
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विकास को मंदिर परिसर से बाहर निकाला गया और पुलिस ने थपेड़े मारते हुए अपनी कस्टडी में ले लिया । इस दौरान विकास दुबे ने बड़ी ही दबंगई से ये कहा मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला । यानी वो जानता था कि यदि मुझे पुलिस ने पकड़ा है तो मेरा एनकाउंटर अब नहीं हो सकता। पुलिस ने विकास के पकड़े जाने की सूचना यूपी पुलिस को दी। इसके बाद शुरु हुआ एक बार फिर राजनीति का दौर ।
विरोधी बोलते नहीं थक रहे थे कि विकास ने सरेंडर किया है गिरफ्तारी नहीं। इधर पुलिस की पीठ थपथपाई जा रही थी । कि उनके ही नेटवर्क के कारण विकास आज पुलिस की गिरफ्त में है।
10 जुलाई को फिल्मी स्टाइल में एनकाउंटर
विकास दुबे मतलब टीआरपी लिहाजा मीडिया भी उसके पीछे हो ली। वो क्या खा रहा है पी रहा है पहना है और किससे बात कर रहा है। सबकी ताजा रिपोर्टिंग चल रही थी। इसी बीच तड़के सुबह एसटीएफ की टीम यूपी से पहुंची और विकास को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर यूपी के लिए रवाना हुई ।
घड़ी में सुबह 7 बजकर 12 मिनट हो रहे थे कि टीवी पर न्यूज फ्लैश हुई विकास दुबे भागते वक्त मारा गया । एसएसपी दिनेश कुमार ने कहा कि विकास को जिस गाड़ी से ले जाया जा रहा था वो तेज रफ्तार के काऱण दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसके बाद विकास दुबे घायल पुलिसकर्मी का पिस्टल छीनकर भागने लगा । पुलिस ने कई बार उसे सरेंडर करने के लिए कहा । लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी कार्रवाई में विकास दुबे को सीने और कमर में गोली लगी.
मीडियो को रोक दिया गया था
बहरहाल बता दें कि सुबह मीडिया की गाड़ियों को एनकाउंटर वाली जगह से पहले रोक दिया गया था । मीडिया की गाड़ियों को रोकने के बाद पुलिस का काफिला आगे बढ़ा और थोड़ी ही दूरी पर एक्सीडेंट हुआ और फिर एनकाउंटर हो गया. मीडिया की गाड़ियां विकास दुबे को लेकर उत्तर प्रदेश आ रही गाड़ियों के काफिले के ठीक पीछे चल रही थी । लेकिन चेकिंग के नाम पर भारी पुलिस बल ने बीच सड़क पर सारी गाड़ियों को रोक दिया। इसके बाद जब चेकिंग खत्म हुई तो सामने मिली एक पलटी हुई गाड़ी और एनकाउंटर की न्यूज । इसके बाद लगभग हर खबरिया चैनल में ये न्यूज चल रही थी कि आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मास्टरमाइंड विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया है. एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल हुए विकास दुबे की मौत हो गई है । इस एनकाउंटर में चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं ।
अब ये तो थी विकास एंड कंपनी की पूरी स्टोरी जिसकी शुरुआत हत्याकांड से हुई और अंत एनकाउंटर से । विकास दुबे अब इस दुनिया में नहीं लगभग सभी को पता था कि पुलिसकर्मियों के साथ वहशियाना हरकत करने वाले का अंजाम क्या होना है। लेकिन एक अपराधी जिसे 24 घंटे पुलिस और मीडिया तलाश रही हो वो उसकी मौत ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
गिरफ्तारी, एनकाउंटर और सवाल
नंबर -1 इतनी आसानी से एक स्टेट से दूसरे स्टेट कड़ी सुरक्षा के बीच कैसे पहुंच रहा था ?
नंबर- 2 फरार होने के बाद कौन सा नेटवर्क विकास को बचाने का काम कर रहा था ?
नंबर -3 गिरफ्तारी के बाद और उससे पहले विकास के चेहरे में न थकान थी और न ही डर उसे किसकी शह मिली थी ?
नंबर -4 विकास का अंजाम तय था लेकिन उससे पहले विकास के बयान क्यों नहीं लिए गए । जिसमें वो उन आकाओं के नामों का खुलासा करता जिसने एक पौधे को अपराध का वट वृक्ष बनाया ।
नंबर-5 जिस व्यक्ति ने खुद सामने आकर सरेंडर किया हो वो गिरफ्तारी के बाद पिस्टल लेकर जंगलों में क्यों भाग रहा था ?
नंबर 6- क्या विकास बड़े नामों का खुलासा करने वाला था, जिन्होंने इस दौरान उसकी मदद की और अंतिम दम तक उसे बचाने की कोशिश की
कैसे रही पुलिस और राजनीतिक दल की प्रतिक्रिया ?
विकास दुबे के एनकाउंटर की मुझे पहले से थी आशंकाः दिग्विजय
पिछले 4 दिन में UP पुलिस ने 3 एनकाउंटर किए हैं, तीनों एनकाउंटर का घटनाक्रम एक जैसा है। मुझे तो इसकी आशंक पहले से ही थी क्योंकि इसके पास जो राज थे कि कौन सी राजनीतिक हस्तियां इससे जुड़ी थी, कौन से पुलिस के, शासकीय अधिकारी इससे मिले हुए थे। उन सब चीजों का खुलासा होता: दिग्विजय सिंह
विकास दुबे के एनकाउंटर पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उठाए सवाल
विकास दुबे के एनकाउंटर पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाए हुए कहा कि प्रश्न इस बात का है कि जिस प्रकार से वो सरेंडर हुआ या गिरफ्तार हुआ। मध्य प्रदेश पुलिस उसका श्रेय लेना चाहती है लेकिन ये बात साफ है कि निजी सिक्योरिटी एजेंसी के लोगों ने उसको पकड़ा था। मध्य प्रदेश पुलिस को जानकारी भी नहीं थी।
विकास दुबे लगी थी चार गोली, तीन सीने और एक हाथ में– डॉ.आरबी कमल
विकास दुबे को यहां मृत लाया गया था, उसको 4 गोली लगी थी। 3 गोली सीने में लगी थी और एक हाथ में: डॉ.आरबी कमल, प्रिंसिपल, एलएलआर अस्पताल
घायल पुलिसकर्मी खतरे से बार, निकाली गई गोलीः डॉ. आरबी कमल
कानपुर के एलएल अस्पताल के डॉक्टर आरबी कमल ने बताया कि तीनों घायल पुलिस की हालत स्थिर है। दो पुलिसकर्मियों को गोली लगी थी जिसे निकाल दिया गया है।
पुलिस के चार कर्मी और दो एसटीएफ के कमांडो घायलः यूपी एडीजी
सिविल पुलिस के 4 कर्मी घायल हुए हैं जिसमें 3 सब इंस्पेक्टर हैं, एक कांस्टेबल है और 2 एसटीएफ कमांडो को गंभीर चोटें आई हैं: प्रशांत कुमार, यूपी एडीजी (कानून-व्यवस्था
कानपुर मुठभेड़ में कुल 21 अभियुक्त नामजद थे: यूपी एडीजी
कानपुर मुठभेड़ में कुल 21 अभियुक्त नामजद थे और 60 से 70 अन्य अभियुक्त थे। जिसमें से अब तक 3 लोग गिरफ्तार हुए हैं, 6 मारे गए हैं और 120 बी के अंदर 7 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। 12 इनामी बदमाश वांटेड चल रहे हैं: प्रशांत कुमार, यूपी एडीजी (कानून-व्यवस्था)