कुडलोर। तमिलनाडु का के इस जिले में पुलिस ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई की एक फर्जी शाखा का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। फर्जी शाखा खोलने का मास्टर माइंड एसबीआई की एक पूर्व कर्मचारी का बेटा है, जिसकी दिल से तमन्ना थी कि वह बैंक में नौकरी करें, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया, तो उसने दिमाग से खेला और एसबीआई की एक फर्जी शाखा ही खोल दिया।
शातिर के माता-पिता थे एसबीआई कर्मचारी
मिली जानकारी के मुताबिक कुडलोर जिले के पनरुति में कमल बाबू नाम के एक 19 साल के लड़के पर एसबीआई की फर्जी शाखा खोलने का आरोप है। पुलिस ने बताया कि कमल के माता-पिता एसबीआई के कर्मचारी थे। पिता का 10 साल पहले निधन हो गया था, वहीं मां दो साल पहले एसबीआई से रिटायर हो गईं। कमल ने पिता की जगह नौकरी के लिए बैंक में आवेदन किया था, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली। ऐसे में उसने खुद का ही बैंक खोलने का फैसला किया। बचपन से बैंकिंग माहौल में पला-बढ़ा, तो रूचि के साथ जानकारी भी उसे अच्छी थी।
ग्राहक ने उठाया रहस्य से पर्दा
पुलिस के अनुसार, कमल ने तीन महीने पहले पनरुति बाजार नाम से एसबीआई की शाखा खोली थी। एसबीआई के एक कस्टमर ने नई शाखा देखी तो उसने पुरानी ब्रांच में इस बारे में बात की। उस बैंक के ब्रांच मैनेजर ने अपने जोनल हेड से नई ब्रांच खुलने के बारे में पता किया। जोनल हेड ने बताया कि पनरुति में तो एसबीआई की कोई नई ब्रांच नहीं खोली गई है। मैनेजर की शिकायत के बाद एसबीआई के अधिकारी नई ब्रांच के दफ्तर में गए। वहां दफ्तर को देखकर हैरान रह गए, क्योंकि वहां सब कुछ ऑरिजनल बैंक जैसा ही था।
पुलिस कार्रवाई में कमल बाबू, उसके साथी 52 साल के मणिकम और 42 साल के कुमार को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पता चला कि कमल ने बैंक खोलने की योजना बनाई, मणिकम ने बैंक स्टांप तैयार की जबकि कुमार ने बैंक की स्टेशनरी, पासबुक, चालान तैयार किया। फर्जी शाखा के लिए कमल ने कंप्यूटर, लॉकर और बाकी सैटअप खरीदा था। साथ ही पनरुतू बाजार ब्रांच नाम से वेबसाइट भी बनाई गई।
बैंक खोलना था मकसद
पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि इस फर्जी ब्रांच से अभी तक पैसा का कोई लेनदेन नहीं हुआ था। किसी के भी पैसे नहीं डूबे। पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने लॉकडाउन के दौरान ब्रांच खोली, उन्हें लगा कि इस दौरान किसी को पता नहीं चलेगा। पूछताछ में कमल बाबू ने बताया कि उसका मकसद लोगों को चूना लगाना नहीं था। वह तो खुद का बैंक खोलना चाहता था, इसलिए उसने यह कदम उठाया।