कोंडागांव। जिले में एक विवाह ऐसा हो रहा था, जिसमें पुलिस और जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा और शादी रूकवानी पड़ी। इसके बाद दोनों पक्ष के माता-पिता को थाना भी जाना पड़ा। बड़ी बात यह रही कि इस पूरे मामले में कलेक्टर को दखलअंदाजी करनी पड़ी।
दरअसल, 9 जुलाई को कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा एवं पुलिस अधीक्षक सिध्दार्थ तिवारी के निर्देशानुसार जिला प्रशासन, पुलिस विभाग एवं चाइल्ड लाइन की संयुक्त दल ने ग्राम बड़े कनेरा में बाल विवाह के होने की सूचना प्राप्त होने पर त्वरित कार्यवाही करते हुए ग्राम पहुंच कर बाल विवाह को रोका।
जिले की महिला बाल विकास विभाग की बाल संरक्षण इकाई को बाल विवाह के ग्राम बड़ेकनेरा में किये जाने की सूचना प्राप्त होने पर कलेक्टर के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी वरूण नागेश एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी नरेन्द्र सोनी के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा संयुक्त दल का गठन कर बड़ेकनेरा पहुंचे। ग्राम पहुंचने पर पाया की बड़ेकनेरा थाना अंतर्गत निवासी नाबालिग बालक उम्र 16 वर्ष 6 माह एवं बालिग बालिका उम्र 20 वर्ष के मध्य विवाह परिजनों के द्वारा कराया जा रहा था।
गठित दल द्वारा दस्तावेजों के परीक्षण एवं पूछताछ में पाया गया की विवाह में वधु की उम्र विवाह के योग्य है, जबकि वर की उम्र विवाह के योग्य नहीं पाई गई। पूछताछ में यह भी पाया गया कि बालिका विगत तीन महीनों से स्वेच्छा से लड़के के परिजनों घर में साथ में निवास कर रही थी। दल ने विवाह में दोनों पक्षों के सदस्यों एवं ग्रामीणों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के संदर्भ में अवगत कराया गया साथ ही बालिका एवं बालक के परिजनों से शपथ पत्र भी भराया गया की वे बच्चों का विवाह निर्धारित आयु कि पूर्ण होने तक उनका विवाह नहीं करेंगे। नाबालिगों की शादी आयोजित करने के संपन्न में आवश्यक कार्रवाई की गई है। हालांकि विवाह संपन्न नहीं हुआ था, इस वजह से सीमित कार्रवाई की गई है।