नई दिल्ली। दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन का वालंटियर्स पर ट्रायल पूरा हो गया है। रूस की Sechenov First Moscow State Medical University ने यह दावा किया है। वालंटियर्स पर 18 जून से ट्रायल शुरू किए थे। अगर यह दावा सच है तो कोरोना वैक्सीन डेवलपमेंट में रूस सबसे आगे निकल गया है क्योंकि अभी तक किसी और वैक्सीन का ट्रायल पूरा नहीं हो सका। चीन, अमेरिका और अन्य कई देशों की वैक्सीन ट्रायल के फेज 2 या 3 में हैं। कुछ वैक्सीन तो ट्रायल के शुरुआती दौर में ही फेल हो गईं मगर रूस ने पहली वैक्सीन की सफलता का दावा किया है।
यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी डायरेक्टर वदिम तरासोव के मुताबिक गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने यह वैक्सीन तैयार की है। उन्होंने स्पतनिक से बातचीत में कहा कि सारे सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरने के बाद ही वैक्सीन का ट्रायल पूरा हुआ है।
रूस ने ही कोविड-19 की दवा ‘कोरोनाविर’ बनाई
हाल ही में रशिया की फार्मा कम्पनी आर-फार्म ने कोविड-19 के इलाज के लिए नई दवा भी तैयार की। नई एंटीवायरल दवा का नाम कोरोनाविर रखा गया है। क्लीनिकल ट्रायल के बाद दवा को कोविड-19 के मरीजों पर इलाज के लिए अनुमति दी गई। कम्पनी का दावा है कि यह दवा कोरोना के मरीजों पर बेहतर असर करती है। कोरोनाविर वायरस के रेप्लिकेशन (वायरस की संख्या बढ़ना) को रोकती है।
कम्पनी का दावा, यह कोविड-19 की जड़ पर वार करती है
कम्पनी का दावा है कि ‘कोरोनाविर’ देश की पहली ऐसी दवा है जो पूरी तरह कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए है। दुनियाभर में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन समस्या की जड़ वायरस है। संक्रमित मरीजों में यह दवा कोरोना की संख्या को बढ़ने से रोकती है।
55 फीसदी सुधार देखा गया
रशियन फार्मा कम्पनी आर-फार्म के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल के दौरान कोरोनाविर और दूसरी थैरेपी-दवा ले रहे कोविड-19 के मरीजों की तुलना की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि दूसरी दवा और थैरेपी के मुकाबले नई दवा लेने वाले मरीजों में 55 फीसदी अधिक सुधार देखा गया।
कम्पनी का दावा है कि यह दावा कोविड-19 के लक्षणों पर फोकस करने की जगह बीमारी को टार्गेट करती है। यह दवा मरीजों को देने पर 14 दिन बाद अंतर को समझा गया। क्लीनिकल ट्रायल में सामने आया कि कोरोनाविर देने के पांचवे दिन 77.5 फीसदी मरीजों में कोरोनावायरस नहीं मिला।