रायपुर। छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी का अस्तित्व समाप्त करने की बात पूर्णतः भ्रामक और निराधार है, जबकि वास्तविकता यह है कि सिंधी भाषा व संस्कृति संबंधी गतिविधियों के सुगम संचालन हेतु स्वायत्तता दी जा रही है। संस्कृति विभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी का गठन किया गया है। इस संबंध में 4 जून 2007 को छत्तीसगढ़ राजपत्र में विधिवत अधिसूचना का प्रकाशन भी हुआ है।
राज्य शासन की संस्कृति नीति एवं छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के उद्देश्यों के अनुरूप छत्तीसगढ़ में सिंधी भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं विकास के लिए आवश्यक प्रयत्न एवं समस्त उपाय हेतु छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी कार्य करेगा। अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष किये गए कार्यों का प्रतिवेदन परिषद को प्रस्तुत करना होगा। उक्त अकादमी के स्वरूप में परिषद द्वारा निर्णय लिए जाने की स्थिति में आवश्यकतानुसार संशोधनध्परिवर्तन किया जा सकेगा। वर्तमान छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी के उपलब्ध बजट एवं समस्त चल-अचल संपत्ति एवं स्वायत्तता में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। समाज को भ्रामक खबरों से चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। राज्य में छत्तीसगढ़ की कला, फिल्म, लोक और आदिवासी कला, साहित्य और छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग के समरूप ही सिंधी अकादमी परिषद के अंतर्गत संचालित होगी। इस अकादमी के कार्यकलापों के लिए पूर्ण स्वायत्तता होगी, इस प्रकार उसके वर्तमान स्वरूप में आवश्यक संशोधन उसी स्थिति में किया जाएगा, जो अकादमी के कार्य संचालन की दृष्टि से सुगम और व्यावहारिक हो ताकि अकादमी के उद्देश्यों की बेहतर पूर्ति हो सके।