नई दिल्ली। विश्वविद्यालय में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक पूरी करवाने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने अभी तक सुनवाई के लिए याचिका दाखिल नहीं की है।
फैसले पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं आदित्य
महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना लॉकडाउन को देखते हुए राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में परीक्षा नहीं करवाने और छात्रों को पास करके अगली कक्षा में भेजने का निर्णय लिया है। यही वजह है कि राज्य के आदित्य ठाकरे इस फैसले से नाराज चल रहे हैं। हालांकि, इससे अलग 6 जुलाई को यूजीसी ने पूरे देश में 30 सितंबर तक सभी विश्विद्यालयों की परीक्षा करवाने का निर्देश दिया था।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के आदेश के बाद देशभर में अबतक 194 विश्वविद्यालयों ने अंतिम साल की परीक्षाएं आयोजित कर ली हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (यूजीसी) ने हाल ही में विश्वविद्यालयों में संपर्क कर अंतिम साल की परीक्षा को लेकर जानकारी मांगी थी और उसे 755 यूनिवर्सिटी से जवाब मिला। कोरोना के कारण बदले हुए हालात में केंद्र सरकार ने हाल ही में देश के सभी यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन स्तर पर अंतिम साल की परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था।
366 यूनिवर्सिटी में अगले महीने परीक्षा
यूजीसी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर अपने संशोधित दिशा-निर्देशों के पालन होने की जानकारी दी।यूजीसी की रिलीज में बताया गया है कि उन्होंने देश में सभी यूनिवर्सिटी (डीम्ड, निजी और सरकारी) से दिशा-निर्देशों पर की गई कार्रवाई को लेकर संपर्क किया था और उसे 755 विश्वविद्यालयों से जवाब मिला है।
यूजीसी के मुताबिक, उसे 120 डीम्ड, 274 निजी, 40 केंद्रीय और 321 राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों से जवाब मिला है, जिनमें से 194 ने अभी तक इन परीक्षाओं को पूरा कर लिया है। वहीं 366 अन्य यूनिवर्सिटी अगस्त या सितंबर में इन्हें आयोजित करने की योजना बना रही हैं।
30 सितंबर से पहले परीक्षा कराने के दिए थे निर्देश
कोरोना वायरस महामारी के कारण देशभर में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक परीक्षाएं प्रभावित हुई थीं। स्कूलों में तो बोर्ड परीक्षाएं तक रद्द कर दी गई थीं, लेकिन केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी में अंतिम साल या सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने का फैसला किया था।
6 जुलाई को यूजीसी ने विश्वविद्यालय परीक्षाओं को लेकर संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत सभी यूनिवर्सिटी में 30 सितंबर से पहले अंतिम साल या सेमेस्टर की परीक्षाओं को पूरा करने का निर्देश दिया गया था। इसके खिलाफ लगातार छात्र अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।