नई दिल्ली। बैंकिंग सेवाओं के इतिहास में वेतन वृद्धि को लेकर चल रही अटकलों पर 22 जुलाई 2020 को तब विराम लगा जब IBA और UFBU के बीच सुबह से ही चल रही बातचीत के बाद यूएफबीयू और इंडियन बैंक एसोसिएशन के बीच देर शाम 15% की वेतन बढ़ोत्तरी पर समझौता हो गया है। मुंबई में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के मुख्यालय में एक बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया।वेंकटचलम ने कहा कि वेतन में संशोधन से 35 बैंकों के कर्मचारी इसका फायदा उठा सकेंगे।
बैंकों पर 7,900 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वार्षिक बोझ बढ़ेगा
IBA और यूएफबीयू के बीच बातचीत का दौर मई 2017 से ही चल रहा था और वेतन वृद्धि पहली नवम्बर 2017 से प्रस्तावित थी। बता दें कि इस समझौते से बैंकों पर 7,900 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वार्षिक बोझ बढ़ेगा।
यह फैसला बैंक प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन आईबीए और बैंकों के कर्मचारियों व अधिकारियों की यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस यूएफबीयू के सदस्यों के बीच हुई बैठक में लिया गया।
वेतन असमानता एक पुराना मुद्दा
मालूम हो कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के बीच वेतन असमानता एक पुराना मुद्दा है। इसे लेकर शीर्ष केंद्रीय बैंकरों के बीच लंबे समय से बहस चल रही है। हालांकि, सरकार ने मामूली बदलावों को छोड़कर अब तक वेतन संरचना में सुधार के लिए कदम नहीं उठाया है।
गौरतलब है कि अगस्त 2016 में RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इस विषय पर एक बहस छेड़ी थी। उन्होंने कहा था कि RBI सहित PSB के शीर्ष स्तर के कर्मचारियों का वेतन वैश्विक मानकों से कम है. इसमें सुधार की जरूरत है।
सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों सहित 37 बैंकों ने अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के बारे में निर्णय लेने के लिए आईबीए को अधिकार दिया हुआ है।