गरियाबंद। गरियाबंद जिला के देवभोग थानांर्गत मैनपुर ब्लाक के चलनापदर एक आदिवासी परिजन को स्थानीय प्रशासन के अमानवता का शिकार होना पड़ा, महज 20किमी में किये जाने वाले पोस्टमार्टम के लिये प्रसाशनिक उदासीनता के चलते 70किमी के जंगल का रस्ता तय कर पोस्टमार्टम मैनपुर में कराना पड़ा वही इसके लिए गरीब आदिवासी को 10-15हजार का खर्च करना पड़ा।
मैनपुर के चलनापदर के पोडपारा के 35वर्षीय युवक जयलाल पिता प्रमोद पोर्टी चार पाँच दिन पहले घर से लापता हो गया था बाकायदा इसकी गुमसुदगी रिपोर्ट देवभोग थाना में परिजनो ने दर्ज करायी थी पाँच दिन बाद जब युवक की लाश बरामद हुई तो स्थानीय प्रशासन ने पोस्टमार्टम के लिये 70किमी मैनपुर का रास्ता ये कहकर दिखा दिया कि वो मैनपुर ब्लाक के रहने वाला है। जबकि मृतक युवक का गाँव देवभोग थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
साधन विहीन आदिवासी परिवार जैसे तैसे आटो का व्यवस्था कर युवक के लाश को मैनपुर ले आये जहाँ पूरी रात भूखे प्यासे गुजारने के बाद दूसरे दिन पोस्टमार्टम हो पाया। जहाँ आटो के आने जाने मे बडी रकम तो पोस्टमार्टम के लिये स्वीपर के सेवा शुल्क 4हजार के साथ इस पूरी प्रक्रिया मे गरीब आदिवासी परिजन को 10-15हजार के खर्च का भार उठाना पडा।
पोस्टमार्टम देवभोग मे करने के लिए पूर्व संसदीय सचिव गोवर्धन माँझी ने भी आला अधिकारियों से बात की मगर स्थानीय प्रशासन के आला अधिकारीयों ने अनसुना कर दिया। वही गोवर्धन माँझी ने इस पूरी घटना को अमानवीय कृत्य बताया।