रायपुर। बीते डेढ़ महीनों के भीतर कोरोना ने छग में जैसा तांडव किया है, उसका असर है कि प्रदेश में अब तक 1700 से ज्यादा कंटेनमेंट जोन बन चुके हैं। 7 हजार से ज्यादा पाॅजिटिव मरीजों की वजह से प्रदेश में स्थिति अब भयावह रूप ले चुकी है। यह सिलसिला यहीं पर थमने वाला नहीं है, शासन और प्रशासन भी इस बात से भलीभांति वाकिफ हैं।
राज्य में प्रतिदिन 300 से ज्यादा मरीजों के मिलने का क्रम शुरू हो गया है, तो राजधानी में आंकड़ा 150 की औसत से आगे बढ़ रहा है। आलम यह है कि राजधानी शहरी क्षेत्र में ही 120 के करीब कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं। स्थिति यह हो चुकी है कि अब कंटेनमेंट जोन बनाने के लिए बांस-बल्लियों की किल्लत होने लगी है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि अभी स्थिति नियंत्रण में है और आपूर्ति हो रही है, लेकिन लगातार यही हालात बने रहे, तो मुश्किलात का सामना करना ही पड़ेगा।
अब तक 85 हजार बांसों का उपयोग किया जा चुका है। अब बांस की कमी होने लगी है। प्रशासन ने वन विभाग से मदद मांगी है। वन विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिन इलाकों में कोरोनो संक्रमित मरीज मिल रहे हैं, उन इलाकों को वन विभाग की बांस से सील किया जा रहा है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक स्थानीय के साथ जिला प्रशासन उन्हें एरिया सील करने खड़े पांव बांस उपलब्ध कराने के लिए कह देते हैं। विभाग के स्थानीय अफसर अपने वाहन से संबंधित इलाके में बांस-बल्ली पहुंचाते हैं। अकेले रायपुर जिले में कंटेनमेंट जोन बनाने के लिए 10 हजार से ज्यादा बांस-बल्ली लग चुका है।