दुर्ग। प्रदेश के मुख्यमंत्री से पहले भूपेश बघेल एक किसान हैं। खेत-खलिहान के प्रति उनकी रूचि को इंकार नहीं किया जा सकता और फिर मूल छत्तीसगढ़िया होने के नाते संस्कृति के प्रति उनका प्रेम नजर आता है। राजनीति के परे उनकी पहली सहानुभूति किसान, खेत खलिहान और छत्तीसगढ़ के प्रति स्पष्ट झलकती है।
इसका जीवंत उदाहरण फिर सामने आया है। मौका मिलते ही कल एक बार फिर वे अपने खेतों में जा पहुंचे। दुर्ग जिले के कुरुदडीह गांव के खेत पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान से लहलहाते खेतों का जायजा लिया। भूपेश बघेल के खेतों में धान की रोपाई का काम हो चुका है। उन्होंने खाद-पानी की व्यवस्था को लेकर भी पूरी जानकारी ली। उनके साथ उनके बेटे चैतन्य भी थे। उन्होंने गांव के पुराने साथियों और सहकर्मियों के साथ भी खूब बातें की। इसके बाद वे अपने घर गए, जहां लोगों से मुलाकात की।
खेतों से लौटने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्विटर में एक तस्वीर भी शेयर की है। उन्होंने बताया कि उनके परिजनों ने 60 के दशक में गांव को सिंचित करने का बीड़ा उठाया था। गांव के युवाओं को ट्रैक्टर चलाने, बिजली के उपकरण बनाने तक की ट्रेनिंग दी थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ उनके चारों सलाहकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग, प्रदीप शर्मा और राजेश तिवारी के अलावा ब्डक्ब् के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, नान के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल भी मौजूद थे।
बहुत समय बाद अपने गृहग्राम कुरुदडीह पहुंचा। धान से लहलहाते खेतों, हरियाली की भीनी सुगंध और मेढ़ों ने पुरानी यादें ताज़ा कर दीं।
गांव के पुराने साथियों और सहकर्मियों से ख़ूब बातें भी हुईं।#NoPolitics pic.twitter.com/4z3KROOWJu
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) July 25, 2020