रायपुर। हमेशा विवादों में घिरा रहने वाला डाॅ. अंबेडकर अस्पताल कोरोना महामारी के संकटकाल में भी संयमित होकर काम नहीं कर पा रहा है। हजारों लोगों की जिंदगी पहले ही आफत में हैं, ऐसे में जिस लापरवाही का परिचय डाॅ. अंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने दिया है, वह अक्षम्य है।
दरअसल, मिल रही जानकारी के अनुसार ग्राम परसदा की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर गांव की मितानिन उसे लेकर गोबरा नवापारा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी। यहां से उसे रात में ही जिला अस्पताल रायपुर रेफर कर दिया गया था।
अगले दिन सोमवार दोपहर 1 बजे महिला की ऑपरेशन से डिलीवरी हुई। उसने एक लड़के को जन्म दिया, जिसका वजन मात्र 1 किलो 600 ग्राम था। इसे देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को महिला से अलग एनक्युबेटर में रखते हुए महिला को वॉर्ड में शिफ्ट किया गया था। मंगलवार 28 जुलाई को महिला का कोरोना टेस्ट किया गया था।
ऑपरेशन के चलते महिला को अस्पताल में ही भर्ती रखा गया था, जहां बुधवार 29 जुलाई की रात उसकी रिपोर्ट में उसे पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद महिला को जिला अस्पताल से मेकाहारा भेजा गया, लेकिन अचानक मेकाहारा प्रबंधन ने लापरवाही दिखाते हुए महिला को गुरुवार शाम एम्बुलेंस से उसके ससुराल ग्राम जौंदा भेज दिया।
इस बात की जानकारी लोगों को शुक्रवार सुबह हुई, जिसके बाद गांव में हडकम्प मच गया। मामले की विभिन्न स्तरों पर शिकायत किए जाने के बाद प्रशासन हड़बड़ा गया और आननफानन में महिला को सुबह 11 बजे एम्बुलेंस से वापिस मेकाहारा भेज दिया गया। लेकिन इस अवधि में ग्राम में कुछ लोगों के संक्रमित होने की संभवना बन गई है। बताया जाता है कि महिला के ससुराल के लोग उसके सम्पर्क में आने के बाद शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक लोगों से मिलजुल रहे थे और साथ में उठना-बैठना भी कर रहे थे। बड़ा सवाल यह है कि आखिर मेकाहारा से कोरोना जैसे खतरनाक मामले में इतनी बड़ी चूक हुई कैसे ?