रायपुर। आज यानी 1 अगस्त को दुनिया के कई हिस्सों में ईद अल अज़हा का जश्न मनाया जाएगा। कहा जाता है कि रमजान माह के खत्म होने के करीब दो महीने और 10 दिन यानि कुल 70 दिन बाद ईद उल ज़ुहा या ईद अल अज़हा का त्योहार मनता है। ईद उल ज़ुहा को बकरीद भी कहा जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से यह त्योहार हर साल ज़िलहिज्ज के महीने में आता है। अंग्रेज़ी कैलेंडर की तुलना इस्लामिक कैलेंडर थोड़ा छोटा होता है। इसमें 11 दिन कम माने जाते हैं। मुस्लिम समुदाय में ईद उल फितर की तरह इस ईद को भी अहम माना जाता है।
क्या हैं बकरीद का मतलब ?
कई लोग बकरीद को बकरों से जोड़कर देखते हैं। जबकि इसका मतलब बकरे से नहीं है। दरअसल, अरबी भाषा में बक़र का मतलब होता है बड़ा जानवर, जिसे ज़िबा यानि जिसकी बली दी जाती है। यही शब्द बिगड़ कर अब भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में ‘बकरा ईद’ हो गया है।
क्यों मनाई जाती हैं बकरीद ?
बता दें कि, ईद का यह त्यौहार मुसलमानों के पैग़म्बर और हज़रत मोहम्मद के पूर्वज हज़रत इब्राहिम की दी गई कुर्बानी को याद के तौर पर मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब हज़रत इब्राहिम अल्लाह की भक्ति कर रहे थे तो उनकी भक्ति से खुश होकर उनकी दुआ को कबूल किया था जिसके बाद अल्लाह ने उनकी परीक्षा ली। इस परीक्षा में अल्लाह ने इब्राहिम से उनकी सबसे कीमती और प्यारी चीज की बली देने की मांग की। इब्राहिम ने अपने जवान बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का फैसला कर लिया, लेकिन वो जैसे ही अपने बेटे को कुर्बान करने वाले थे अल्लाह ने उनकी जगह एक दुंबे (सउदी में पाया जाने वाला भेड़ जैसा जानवर) को रख दिया। अल्लाह सिर्फ उनकी परीक्षा ले रहे थे। जो परीक्षा अल्लाह इब्राहिम की ले रहे थे वो सफल हो गया और इस दिन को बकरा ईद के रुप में मनाया जाने लगा।
कैसे मनाई जाती हैं बकरीद ?
बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ मस्जिद में अल सुबह की नमाज अदा करते हैं। इसके बाद बकरे की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक हिस्सा गरीबों, दूसरा रिश्तेदारों और तीसरी हिस्सा अपने लिए रखा जाता है।
क्यों मारा जाता हैं शैतान को पत्थर ?
अरबी में इसे रमीजमारात भी कहा जाता है।रमीजमारात एक ऐसी जगह है जहां तीन बड़े खम्भे हैं। इन्हीं खम्भों को लोग शैतान मानते हैं और उस पर कंकरी फेंकते हैं और इस रस्म के साथ ही हज पूरा हो जाता है। कहा जाता है कि यह वह जगह है, जहां शैतान ने हजरत इब्राहीम को बहकाने की कोशिश की। उसने कहा कि हजरत इब्राहीम अल्लाह का आदेश न मानें।