अयोध्या। भगवान राम के मंदिर निर्माण से देश की कितनी आस्था जुड़ी है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। जिस दिन राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाए जाने का फैसला आया, उस दिन से लोगों की आस बढ़ गई और उन्हें अपना संकल्प पूरा होते नजर आया। महज दो दिनों बाद देश की उम्मीदों की पहली नींव 5 अगस्त को रखी जाएगी, जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार है। रामलला के इस मंदिर के लिए कई ने अन्न त्याग दिया, तो कई ने जल भी त्याग दिया। मंदिर निर्माण की आस में बहुत स्वर्ग भी सिधार चुके हैं, पर जो जीवित हैं अब उनकी आंखों में चमक नजर आने लगा है। ऐसी ही एक महिला जबलपुर निवासी उर्मिला देवी हैं।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होते ही मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाली 81 साल की महिला की तपस्या पूरी हो जाएगी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद दंगे हुए तो उन्होंने संकल्प लिया था कि राम मंदिर की नींव रखे जाने तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। तब से ही वे फलाहार के साथ राम नाम जपते हुए उपवास पर हैं।
जबलपुर के विजय नगर में रहने वाली उर्मिला देवी ने उपवास शुरू किया था, तब उनकी उम्र 53 साल थी। संकल्प लिया था तब लोगों ने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन वे अडिग रहीं। मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों को उन्होंने बधाई संदेश भी भेजा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था।
अयोध्या में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर की नींव रखेंगे। उर्मिला उस दिन दिनभर घर में राम नाम का जाप करेंगी। वे चाहती हैं कि अयोध्या जाकर राम लला के दर्शन करने के बाद ही वे अन्न ग्रहण करें। उनके परिवार वाले समझा रहे हैं कि कोरोना की वजह से अयोध्या के कार्यक्रम में सिर्फ आमंत्रित लोग ही जा सकते हैं। ऐसे में उन्हें घर पर ही उपवास तोड़ लेना चाहिए, लेकिन वे इसके लिए अभी राजी नहीं हुई हैं।
उर्मिला का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर का बनना उनके लिए पुनर्जन्म जैसा है। वे कहती हैं कि संकल्प तो पूरा हो ही गया अब उनकी बस इतनी इच्छा है कि अयोध्या में थोड़ी सी जगह मिल जाए, ताकि बाकी जीवन वे वहां बिता सकें।