नई दिल्ली। देश की कानून व्यवस्था में जल्द ही बड़ी तब्दीली की संभावनाएं बन रही हैं। वर्तमान में प्रयुक्त आईपीसी और सीआरपीसी में बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है, जिसके बाद देश में नए सिरे से कानून व्यवस्था लागू हो जाएगी। फिलहाल जिस आईपीसी और सीआरपीसी की धाराओं का उपयोग कानून और पुलिसिंग के लिए हो रहा है, वस्तुतः उनमें से कई धाराएं उपयोगहीन हो चुकी हैं या कहा जाए कि अप्रासंगिक हो चुकी है। वजह, इन धाराओं को ब्रिटिश शासन ने अपने हितों को ध्यान में रखकर तैयार किया था, जिसे आज भी भारत ढो रहा है।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय दिल्ली की समिति केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर IPC और CRPC में आवश्यक परिवर्तन पर काम कर रही है। इस समिति ने विधि विशेषज्ञों, इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं तथा उनसे राय आमंत्रित की है जिनकी संबंधतता इस क्षेत्र से है।
इस रायशुमारी और सलाह सुझाव को तीन भागों में बाँटा गया है पहला है IPC दूसरा CRPC और तीसरा है साक्ष्य अधिनियम। प्रत्येक को दो दो खंडों में बाँटा गया है। यह प्रक्रिया 9 अक्टूबर तक जारी रहेगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अधिकृत ट्विटर हैंडल से विस्तृत जानकारी देते हुए इस संबंध में बताया गया है कि criminallawreforms.in/expert-consultation में जाकर सलाह दे सकते हैं।
जिस विधि से यह तय होता है कि किस अपराध के लिए क्या धारा और उसकी क्या सजा होगी वह IPC कहलाती है, और जिस प्रक्रिया का पालन करते हुए इस विधि की स्थापना होती है उसे CRPC कहा जाता है।