रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी और सर्वाधिक चर्चा वाली योजनाओं में से एक गोधन न्याय योजना के तहत पहली बार गोबर बेचने वाले पशुपालकों के खाते में 5 अगस्त को गोबर बिक्री की राशि की पहली किस्त अदा की जाएगी। बताया गया है कि राज्यभर के करीब 60 हजार पशुपालकों के खाते में 1 करोड़ 60 लाख रुपए अदा किए जाएंगे। यह राशि 1 अगस्त तक गोबर बेचने वालों के हिस्से की है। खरीदे गए गोबर से जैविक खाद बनाई जाएगी, जो 8 रुपए किलो के हिसाब से बिकेगी।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने अनुसार 5 अगस्त से गोबर बिक्री की राशि पशुपालकों के खाते में देने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। यह राशि पशुपालकों तक पंहुचाने के लिए राज्य के सहकारी बैंकों के अफसर-कर्मियों ने अवकाश के दिन शनिवार, रविवार और सोमवार को भी काम किया है। ऐसा इसलिए, ताकि शासन द्वारा 5 अगस्त को राशि देने के फैसला पर अमल किया जा सके। छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है, जो पशुपालकों से दो रुपए किलो गोबर खरीदने की योजना बनाकर उसे अमल में ला चुका है।
हर 15 दिन में होगा भुगतान : राज्य में 20 जुलाई से गोबर खरीदी शुरू किए जाने के बाद पहला भुगतान 5 अगस्त को किया जा रहा है। इसके बाद अब हर 15 दिनों में भुगतान करने की योजना है। इस हिसाब से अगला भुगतान 15 अगस्त को किया जाएगा। राज्य शासन ने गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन के लिए कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली संबंधी दिशा-निर्देश जारी किया गया है, जिसके अनुसार गोबर की खरीदी एवं वर्मी कंपोस्ट की बिक्री का संपूर्ण विवरण ऑनलाईन पोर्टल के माध्यम से संधारण किया जाएगा।
गोबर से बनेगी जैविक खाद : गोठानों के माध्यम से खरीदे गए गोबर से वर्मी कंपोस्ट उत्पादन के लिए चिन्हांकित स्व-सहायता समूहों द्वारा उसका वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाएगा। तैयार वर्मी कंपोस्ट का गुणवत्ता परीक्षण कर उसकी पैकेजिंग की जाएगी और गाेठान समिति को वापस भेजा जाएगा। कोई भी व्यक्ति गोठान में उत्पादित वर्मी कंपोस्ट को सहकारी समिति के माध्यम से खरीद सकता है। ऐसे किसान, जो सहकारी समिति के सदस्य हैं, वर्मी कंपोस्ट को वस्तु ऋण के रूप में ले सकते हैं एवं नियमानुसार उस पर अनुदान का लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।