अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। कल गणपति पूजन के साथ अनुष्ठान आरंभ हो गया था। भगवान राम की अर्चना के साथ ही हनुमान गढ़ी में भी धार्मिक कार्यक्रम आरंभ हो गया है। 5 अगस्त को यहां पीएम मोदी आएंगे। यहां प्रस्तावित मंदिर की नींव शेषनाग पर रखी जाएगी। काशी विश्वनाथ मंदिर में सोने के शेषनाग, कछुआ, पंचरत्न एवं सोने के वास्तुदेव को साथ लेकर काशी से विद्वतजन अयोध्या आ चुके हैं। इन सामग्रियों का भी पूजन किया गया है। रामलला को चांदी का तांबूल भी अर्पित किया जाएगा। जहां तक शेषनाए एवं कछुए की स्थापना की बात है तो इस संबंध में मान्यता है कि कछुए की पीठ पर विराजित शेषनाग पाताल लोक के स्वामी हैं। उन्हें भगवान शिव का प्रतिनिधि भी माना जाता है। यही कारण है कि राम मंदिर की नींव में काशी विश्वनाथ को अर्पित शेषनाग भगवान को रखा जाएगा।
नीव रखने की यह है वजह –
काशी के विद्वानों का कहना है कि यह पूरी धरती शेषनाग पर टिकी है। उनकी शैया पर भगवान विष्णु विराजित हैं, इसलिए नींव के अंदर शेषनाग को ही विराजमान किया जाना तय है। कछुए को माता लक्ष्मी की सवारी माना जाता है। समुद्र मंथन के उपरांत भगवान विष्णु ने कछुए का ही रूप धरा था एवं उन्होंने समूचा पर्वत अपनी पीठ पर उठा लिया था। यही संकेत राम मंदिर में भी उपयोग किया जाएगा। यहां भी कछुए के ऊपर विराजित होने वाले राम मंदिर की भव्यता सदा बनी रहेगी।
सोने के वास्तु को मंदिर की नींव में रखने का बड़ा महत्व है। वास्तव में यह वास्तु दोष के निवारण के लिए है। भगवान शिव को बिल्व पत्र एवं चंदन प्रिय हैं। शिव भगवान विष्णु के भी आराध्य माने जाते हैं, इसलिए पंचभूतों के प्रतीक पंचरत्न को भी नींव में रखा जाएगा। काशी के चौरसिया समाज ने भी अपनी ओर से भगवान राम के चरणों में समर्पित करने के लिए पान की पांच ईंटें भेजी हैं। हर शुभ पूजा में तांबूल का एक विशेष महत्व माना जाता है। पांच ईंटें नक्षत्रों का प्रतीक हैं।
हनुमान गढ़ी में पूजा करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, यह है विशेषता
5 अगस्त को तय कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या राम मंदिर स्थल पर जाने से पहले हनुमान गढ़ी में हनुमान जी का पूजन करेंगे। यहां निशान का भी पूजन किया जाएगा। मान्यता है कि हनुमान जी वर्तमान में अयोध्या नगरी के स्वयं अधिष्ठाता हैं, इसके चलते यहां हनुमान जी का पूजन सर्वप्रथम किया जाता है। इसके बाद निशान की पूजा एवं अखाड़ों के निशान की पूजा की जाती है। इनकी पूजा का भी हनुमान जी की पूजा के समान ही महत्व है। मालूम हो कि हनुमान जी ही निर्वाणी अखाड़े के ईष्ट देवता हैं।