अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पातल में एक नवजात शिशु की बेहतर उपचार के आभाव में मृत्यु हो गई। बच्चे को नाजुक हालत में सूरजपुर जिला अस्पताल से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया था। वही बच्चे की मृत्यु के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया हैं। मामला मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड का हैं। सूरजपुर निवासी राजेंद्र प्रताप साहू की पत्नी ने सूरजपुर स्थित जिला अस्पताल में मंगलवार को एक ही साथ दो बच्चों को जन्म दिया था। जन्म के बाद एक बच्चे की हालत तो काफी अच्छी थी लेकिन दूसरे बच्चे की हालत काफी गंभीर थी। बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने बच्चे को अंबिकापुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिसके बाद बच्चे के पिता ने 108 पर फोन कर ऐम्बुलेंस मंगाया। लेकिन ऐम्बुलेंस भी काफी लेट पहुचीं। वहीं ऐम्बुलेंस में ऑक्सीजन की भी व्यव्स्था नहीं थी। बावजूद इसके किसी तरह बच्चे को अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने जांच के बाद बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए वेंटिलेटर में शिफ्ट कर दिया। लेकिन फिर भी बच्चे की हालत में सुधार नही आया। बच्चे की बिगड़ती हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने माता पिता को बच्चे के सही इलाज के लिए रायपुर ले जाने की सलाह भी दी। लेकिन परिजन अपने बच्चे को बिलासपुर ले जाना चाहते थे। मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन के पास नवचात बच्चे के लिए ऐंम्बुलेंस की व्यवस्था न होने के कारण पिता ने बिलासपुर से एक ऐम्बुलेंस भी मंगाया । लेकिन ऐम्बुलेंस अंबिकापुर पहुंच पाता इससे पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु वार्ड में गुरूवार की दोपहर 12 बजे बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई। फिलहाल बच्चे की मृत्यु के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा हैं कि चिकित्सकों ने बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती हैं।
अस्पताल प्रबंधन की सफाई
वही इस मामले में अस्पताल प्रबंधन का कहना हैं कि बच्चे को नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बच्चे के नाजुक हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने बच्चे को वेंटिलेटर में शिफ्ट कर दिया था। साथ ही परिजनो को भी बच्चे की बिगड़ती हुई हालत की जानकारी दी गई थी। वही चिकित्सकों का यह भी कहना हैं कि नवजात बच्चे की नाजुक हालत में इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास बेहतर उपचार व्यवस्था उपल्ध नही हैं यदि समय रहते बच्चे को इलाज के लिए रायपुर ले जाया जाता तो शायद बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।