रायपुर। प्रदेश में 15 दिनों के बाद आज से लाॅक डाउन को प्रभावहीन कर दिया गया है। राजधानी सहित दर्जनभर जिलों में 6 अगस्त तक दो किश्तों में लाॅक डाउन किया गया था। आज से राजधानी सहित प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में सभी तरह के कारोबार शुरू हो चुके हैं, पर बसों के पहिए अभी भी थमे हुए हैं। गुरुवार को ही इस मसले पर चर्चा शुरू हो गई थी, जिसके बाद बस मालिकों ने संचालन को लेकर स्पष्ट मना कर दिया था।
बस मालिक महासंघ का कहना है कि जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उसमें बसों का संचालन उनके द्वारा संभव नहीं है। एक तरफ उन्हें यात्री नहीं मिल रहे हैं, उस पर सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए बसों का संचालन किया जाना है, जिससे डीजल खर्च तक निकाल पाना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में बसों का संचालन उन्हें बुरी तरह से नुकसान में डाल रहा है।
बस मालिकों का कहना है कि बीते 6 माह से उनकी आवक पूरी तरह से बंद है। घर चलाने के लिए बसों को बेचना पड़ रहा है, ऐसे में संचालन की बात बेमानी साबित हो रही है। उनका कहना है कि यदि सरकार उनकी आठ मांगों को पूरा करती है, तब जाकर बसों के संचालन को लेकर विचार किया जा सकता है, अन्यथा बसें खड़ी रहेंगी।
ये हैं बस संचालकों की मांगे।
- सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक टैक्स में छूट
- डीजल के वैट टैक्स में 50 प्रतिशत तक की कटौती की जाए
- फार्म के एवं फार्म एम की साल में दो माह की बाध्यता समाप्त की जाए एवं अन्य राज्यों में इसकी फीस 10 रुपए से 20 रुपए है, जबकि छत्तीसगढ़ में यह 500 एवं एक हजार रुपए प्रतिमाह है।
- डीजल की बढ़ती कीमत के साथ-साथ यात्री किराए में भी वृद्धि करने एवं यात्री किराया वृद्धि की स्थाई नीति बनाई जाए। टोल टैक्स में छूट प्रदान की जाए एक प्राधिकार के बनने से पहले जो काम आरटीओ द्वारा किया जाता था, उसे दोबारा लागू करने बाबत स्लीपर कोच में लगने वाले डबल टैक्स को समाप्त किया जाए
- व्हीलबेस एक आधार पर बैठक क्षमता को निर्धारित करना समाप्त किया जाए, भौतिक परीक्षण के सत्यापन के आधार पर वाहन को रजिस्टर किया जाए, क्योंकि व्हीलबेस के आधार पर निर्धारित सीटें वाहन में लगाना नामुमकिन है।
बेहद मुश्किल स्थिति लॉकडाउन की वजह से बस ऑपरेटरों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। डीजल की बढ़ती कीमत तथा परिवहन नीति की वजह से बसों का संचालन करना बेहद मुश्किल है। इस स्थिति से उबरने के लिए हमने आठ सूत्रीय मांगें शासन के सामने रखी हैं। मांगे माने जाने के बाद ही बसों का संचालन संभव है।
-सैय्यद अनवर अली, उपाध्यक्ष, छग यातायात महासंघ