मुंबई- लॉकडाउन में जहां देश के हर व्यापारी को मुसीबत झेलनी पड़ी वहीं सबसे बड़ी परेशानी डेयरी उत्पादन करने वाली कंपनियों को हुआ। ऐसेी ही एक कंपनी है नेचुरल्स । जो आईसक्रीम बनाती है।कंपनी ने गर्मियों के मद्देनजर 45000 छोटे बॉक्स में करीब 26 टन आईसक्रीम का उत्पादन किया था। जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजने की तैयारी भी कर ली गई थी। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने 19 मार्च को ये ऐलान कर दिया कि प्रदेश में 20 मार्च से लॉकडाउन लग रहा है। इस ऐलान ने कंपनी पर मानों बिजली गिरा दी। क्योंकि उत्पाद तैयार था। लेकिन लॉकडाउन में उसे कहीं ले जाया नहीं जा रहा था। वहीं आईसक्रीम में जरुरी सुविधाओं की श्रेणी से बाहर माना गया है। लिहाजा कंपनी ने इन्हें गरीबों में बांटने की तैयारी कर ली।
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बीएमसी ने नहीं दी इजाजत
कंपनी ने इतनी ज्यादा मात्रा की आईसक्रीम को गरीबों में बांटने का फैसला लिया। लेकिन बीएमसी ने इस अपील को भी ठुकरा दिय़ा। लिहाजा कंपनी ने इस आईसक्रीम को फेंकने का मन बना लिया ।क्योंकि ये आईसक्रीम 15 दिनों से ज्यादा नहीं चल सकती थी। लिहाजा कंपनी ने एक बड़ी कंपनी को इसे नष्ट करने का ठेका दिया। कंपनी ने आईसक्रीम का निस्तारण करके इसे बायोगैस में बदल दिया । लेकिन इस गैस का भी इस्तेमाल लॉकडाउन के कारण कोई नहीं कर पाया। जिससे कंपनी को करीब 2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
नेचुरल्स आइसक्रीम के वाइस प्रेसिडेंट हेमंत नाईक ने बताया, ‘हमने तो ऐसी कोई नीति ही नहीं बनाई थी कि अपने उत्पादों का एक्सपायर होने के बाद क्या इस्तेमाल हो सकता है. डेयरी उत्पाद होने के नाते हम इसका कुछ नहीं कर सकते थे. इसे फेंकना ही था. हमें इसके आसार भी नहीं लगे थे कि महाराष्ट्र सरकार केंद्र से पहले ही लॉकडाउन लगा देगी.’
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